भारत में पारंपरिक पशुपालन जैसे गाय, भैंस और बकरी पालन के अलावा अब दुम्बा पालन भी एक नया और तेजी से उभरता हुआ व्यवसाय बनता जा रहा है।
इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण इसका आकर्षक शरीर, भारी पूंछ (चकली) और बाजार में मिल रही ऊँची कीमतें हैं। दुम्बा मूलतः बकरी की एक खास नस्ल है जिसकी पूंछ मोटी और गोल होती है, जो इसे अन्य नस्लों से अलग बनाती है। इस विशेषता के कारण बाजार में इसकी मांग बहुत अधिक होती है।
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गुड्डू अंसारी अपने दुम्बों को भूस की सानी, चने का दाना, जौ और बाजरा खिलाते हैं। सर्दियों में वे सरसों तेल का प्रयोग करते हैं ताकि जानवरों को ठंड से बचाया जा सके। इस तरह के संतुलित आहार और देखभाल से दुम्बा स्वस्थ रहता है और उसका विकास तेज़ी से होता है।
1. कम समय में अधिक मुनाफा: दुम्बा का बच्चा कुछ ही महीनों में अच्छी कीमत पर बिकने लगता है।
2. बाजार में मांग: विशेष अवसरों और त्योहारों पर इसकी मांग और भी बढ़ जाती है।
3. कम प्रतिस्पर्धा: अभी यह व्यवसाय बहुत अधिक लोकप्रिय नहीं है, इसलिए नए पशुपालकों के लिए अवसर अधिक हैं।
4. सौंदर्य और स्वास्थ्य: दुम्बा सुंदरता में भी आकर्षक होता है, जिससे यह विशेष आयोजनों के लिए भी पसंद किया जाता है।
दुम्बा पालन किसानों और पशुपालकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, खासकर उन लोगों के लिए जो सीमित संसाधनों में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं।
यदि उचित देखभाल, संतुलित आहार और रणनीति अपनाई जाए, तो दुम्बा पालन से लाखों रुपये की आमदनी की जा सकती है। यह व्यवसाय ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार का अच्छा माध्यम भी बन सकता है।