डेयरी फार्मिंग - पशुपालन के लिए आवश्यक जानकारी

By : Tractorbird Published on : 29-Apr-2025
डेयरी

डेयरी पालन छोटे एवं सीमांत किसानों और कृषि मजदूरों के लिए आय का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। यह न केवल दूध उत्पादन तक सीमित है, बल्कि इससे प्राप्त गोबर का उपयोग भूमि की उर्वरता बढ़ाने, फसल उत्पादन सुधारने और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी किया जाता है। 

गोबर से उत्पन्न बायोगैस घरेलू ईंधन के रूप में और सिंचाई के लिए इंजन चलाने हेतु ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण स्रोत बनती है। अतिरिक्त चारा और कृषि उपोत्पादों का उपयोग पशुओं के आहार के रूप में करके लागत को काफी हद तक घटाया जा सकता है। 

इसके अलावा, बैल कृषि कार्यों और माल ढुलाई में भी अहम भूमिका निभाते हैं। कृषि के मौसमीय स्वरूप के कारण जहाँ किसानों को आमतौर पर केवल कुछ महीनों के लिए ही रोजगार मिलता है, वहीं डेयरी पालन उन्हें सालभर कार्य और स्थायी आय प्रदान करता है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और वे अधिक आत्मनिर्भर बनते हैं।

विश्व बैंक के अनुसार, भारत की लगभग 75% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जहाँ छोटे किसानों और भूमिहीन मजदूरों के पास देश के कुल पशु संसाधनों का 53% हिस्सा है, जो कुल दूध उत्पादन में 51% का योगदान देते हैं। 

इससे स्पष्ट होता है कि भारत के दुग्ध उत्पादन में इन वर्गों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। शहरी क्षेत्रों के निकट डेयरी फार्म स्थापित करना और भी अधिक लाभकारी सिद्ध होता है, क्योंकि वहाँ दूध की मांग निरंतर बनी रहती है। 

डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकारें भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। केंद्र और राज्य स्तर पर विभिन्न वित्तीय सहायता और अनुदान योजनाएँ चलाई जा रही हैं। 

उदाहरणस्वरूप, नवें पंचवर्षीय योजना के तहत डेयरी विकास के लिए ₹2,345 करोड़ का प्रावधान किया गया था, जिससे इस क्षेत्र को नई गति मिली।

डेयरी खोलने के लिए आवास व्यवस्था और पशु का चयन:

  • डेयरी खोलने के लिए कुछ महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं का ध्यान रखना आवश्यक है -
  • सबसे पहले, पशुओं के लिए आवास की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। 
  • शेड को ऊंची और सूखी भूमि पर बनाया जाए ताकि जलभराव से बचा जा सके। 
  • शेड की दीवारें मजबूत, नमी-रोधी तथा फर्श ढलानयुक्त और फिसलन रहित होनी चाहिए। पर्याप्त वेंटिलेशन और नियमित सफाई भी जरूरी है ताकि पशु स्वस्थ रहें। 
  • पशु चयन में सावधानी बरतनी चाहिए; ऋण स्वीकृति के तुरंत बाद अच्छी नस्ल के, ताजे ब्याए और उच्च उत्पादन क्षमता वाले पशु खरीदने चाहिए। 
  • फार्मिंग की शुरुआत दो पशुओं से करना उपयुक्त रहता है और अनुभव व संसाधन बढ़ने पर संख्या बढ़ाई जा सकती है। 

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पशुओं का उचित आहार प्रबंधन और पशुओं की देखभाल 

  • आहार प्रबंधन में उच्च गुणवत्ता का हरा चारा और खलियों का समावेश होना चाहिए। सूखा आहार पशु के शरीर के वजन का लगभग 2.5-3% प्रतिदिन देना चाहिए, साथ ही विटामिन, खनिज और नमक की पूर्ति भी नियमित रूप से करनी चाहिए। 
  • दूध दुहते समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए और प्रतिदिन दो या तीन बार निश्चित समय पर दुहाई करनी चाहिए। 
  • बीमार पशु के दूध को अलग दुहना चाहिए ताकि संक्रमण न फैले। 
  • पशुओं की स्वास्थ्य देखभाल में नियमित जांच, समय पर टीकाकरण, और बीमार पशुओं का तत्काल उपचार शामिल है। 
  • प्रजनन और गर्भावस्था के समय भी पशुओं को अतिरिक्त देखभाल, पोषण और विश्राम देना आवश्यक है। 
  • गर्भाधान, प्रसव और गर्मी चक्र का रिकॉर्ड रखना फार्म की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करता है।

बछड़ों की देखभाल से जुड़ी आवश्यक बातें 

  • बछड़ों की देखभाल भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। जन्म के तुरंत बाद बछड़े की नाभि को आयोडीन से साफ करना चाहिए और उसे शीघ्र खीस पिलानी चाहिए ताकि उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े। 
  • साथ ही, बछड़ों को समय पर टीके लगवाना चाहिए ताकि वे स्वस्थ रहें। 
  • दूध का विपणन करते समय उसे स्वच्छ बर्तनों में भरकर शीघ्र बाजार पहुँचाना चाहिए और बर्तनों को क्लोरीन मिश्रित पानी से धोकर साफ रखना चाहिए ताकि दूध की गुणवत्ता बनी रहे। 

डेयरी खोलने के लिए कहा से सहायता और ऋण सुविधाएं प्राप्त करे 

डेयरी यूनिट स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता और ऋण सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। NABARD जैसे संस्थान किसानों को ऋण और पुनर्वित्त सुविधा प्रदान करते हैं। 

वाणिज्यिक और सहकारी बैंकों के माध्यम से ऋण आवेदन किया जा सकता है। बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करना आवश्यक होता है, जिसमें पशुओं की खरीद, आवास, उपकरण, चारा लागत, परिवहन और दूध प्रोसेसिंग आदि का विवरण शामिल होता है। 

भूमि की खरीद का खर्च सीधे ऋण में शामिल नहीं होता, लेकिन यदि भूमि विशेष रूप से डेयरी फार्म के लिए खरीदी जाती है, तो उसकी लागत का 10% किसानों के अंशदान के रूप में मान्य किया जा सकता है। 

अंततः कहा जा सकता है कि डेयरी पालन न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करता है। 

आधुनिक प्रबंधन तकनीकों, सरकारी सहयोग और उचित विपणन रणनीतियों को अपनाकर डेयरी फार्मिंग आज के समय में एक स्थायी और अत्यधिक लाभकारी व्यवसाय के रूप में उभर रही है।

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