मौसम विभाग विज्ञान के आधार पर उत्तर भारत के किसानों के लिए कृषि परामर्श
By : Tractorbird News Published on : 09-Jan-2023
इस समय ठंड बहुत हो गयी है ठंड की स्थिति से फसलों को बचाने के लिए किसानों को हल्की और बार-बार सिंचाई करने की सलाह दी जाती है।
गेहूं के लिए कृषि परामर्श
- हैप्पी सीडर के साथ बोई गई गेहूं की फसल में 2% जिंक के साथ गोली बनाकर चूहों के कीटों का प्रबंधन करें।
- फसल की बुवाई के 10-15 दिनों के अंतराल पर फास्फाइड दो बार (सिंचाई के एक सप्ताह पहले या बाद में) इस अवधि के दौरान दे।
- गेहूं की फसल में फालेरिस माइनर मंडुसी के प्रभावी नियंत्रण के लिए खरपतवारनाशी की अनुशंसित मात्रा का ही प्रयोग करें।
- यदि गेहूं की फसल में मैंगनीज की कमी के कारण पत्तियों का पीलापन दिखाई दे तो फसल पर छिड़काव करें मैंगनीज सल्फेट।
- गंधक (sulphur) की कमी के लक्षण दिखाई देने पर एक क्विंटल जिप्सम/एकड़ बिखेरें और उसके बाद हल्की सिंचाई करें। यदि मिट्टी उचित नमी की स्थिति में है, तो इसे गुड़ाई करके मिलाया जा सकता है।
तिलहनी फसलों के लिए कृषि परामर्श
- तिलहनी फसलों के लिए आने वाले दिनों में मौसम शुष्क रहने की उम्मीद है, किसानों को सलाह दी जाती है कि वे जरूरत के हिसाब से सिचाई करें।
- स्क्लेरोटिनिया स्टेम रोट बीमारी के प्रबंधन की अवधि के दौरान सरसों/राया की सिंचाई से बचें।
गन्ना के लिए कृषि परामर्श
- सर्दियों के महीनों में नियमित रूप से गन्ने की फसल में हल्की सिंचाई करें।
सब्जियां के लिए कृषि परामर्श
- नर्सरी के साथ-साथ टमाटर, बैंगन और मिर्च जैसी सब्जियों की फसलों को सर्द हवा और ठंड से बचाए|
- सब्जियों की फसलों जैसे फूलगोभी, पालक, मेथी, धनिया, मूली, शलजम,मटर, टमाटर, बैंगन, मिर्च और शिमला मिर्च की मल्चिंग की जा सकती है। यह सतह को ठण्ड के नुकसान से भी बचाता है।
- प्याज की पौध को खेत में रोपने का यह सबसे अच्छा समय है।
- इन दिनों में आलू की फसल का नियमित सर्वेक्षण करें और विषाणु प्रभावित आलू के पौधों को वहां से हटा दें आलू की फसल को पछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45/मास एम-45/मार्कजेब/एंट्राकोल/कवच @ 500- 700 ग्राम प्रति अकड़ के हिसाब से छिड़काव करें। या 500- 700 ग्राम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 WP/मार्क कॉपर @ 750- 1000 ग्राम/एकड़ 250- 350 लीटर पानी में 7 दिन का अंतराल।
- अगेती उपज प्राप्त करने के लिए ककड़ी की बुवाई लो टनल तकनीक के तहत की जा सकती है।
फल के लिए कृषि परामर्श
- धान के प्रयोग से छप्पर बना कर सदाबहार फलों के पौधों विशेष रूप से नए पौधों को भीषण ठंड से बचाएं।
- इन पौधों पर सूर्य की ओर खुला रखकर पुआल, दूब घास, खजूर के पत्ते आदि लगाए जा सकते हैं।
- साइट्रस में नासूर रोग के प्रबंधन के लिए 500 लीटर पानी में स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 50 ग्राम + 25 ग्राम कॉपर सल्फेटका छिड़काव करें।
- पानी प्रति एकड़ या बोर्डो मिश्रण (2:2:250) इस महीने के दौरान पौधों पर परियोग करें ।
- बेर में पाउडरी मिल्ड्यू को वेटेबल सल्फर @ 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के स्प्रे से प्रबंधित किया जा सकता है और इस दौरान बोर्डो मिश्रण (2:2:250) के छिड़काव से बेर में काला धब्बा रोग का प्रबंधन किया जा सकता है।
- इस समय बेर के बागों में एक सिंचाई करें क्योंकि पेड़ फलों से लदे होते हैं।
- नाशपाती, आड़ू, बेर, अंगूर, अंजीर आदि जैसे पर्णपाती फलों के नए बागों की स्थापना की तैयारी शुरू की जा सकती है।
- आम की मिली बग(mealy bugs) के प्रबंधन के लिए एल्काथेन शीट को पेड़ के चारों ओर कसकर लपेटा जा सकता है।
- इस महीने में ट्रंक सभी प्रमुख के लिए अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद या अन्य जैविक खाद का प्रयोग शुरू किया जा सकता है(अमरूद और बेर को छोड़कर फलदार पौधे)
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मुर्गी पालन के लिए परामर्श
- इन दिनों तापमान कम होने के कारण पोल्ट्री शेड में खिड़कियों पर पर्दा लगा दें और अमोनिया के जमाव से बचने के लिए सूर्य के रोशनी की तरफ खुला रखें।
- मुर्गी पालन के लिए शेड के अंदर का तापमान 75°F (24oC) से कम नहीं होना चाहिए। नमी बनाए रखने के लिए शेड में 65% का स्तर, वाष्पीकरण के लिए ताप स्रोत के पास पानी का बर्तन रखें।
पशुपालन
- दूध निकालने के बाद कभी भी दूध को पशु के थानों पर न लगाए। दूध निकालने के बाद घायल थनों को साफ रखे के लिए ग्लिसरीन और आयोडीन 1:4 के अनुपात में प्रयोग करें।
- जानवरों में सूजन को रोकने के लिए, बरसीम को गेहूं के भूसे जैसे सूखे चारे के साथ मिलाएं।
- चावल की भूसी को कभी भी अकेले न खिलाएं। अगर ब्लोट के लिए पोषण संबंधी कारण जिम्मेदार हैं, तो हम तारपीन का तेल दे सकते हैं (50-60ml ) या 250-300 ml कोई भी तेल (जैसे सरसों का तेल)
- इनके अलावा, जानवरों को आवश्यकतानुसार टिमपोल पाउडर (50-60 ग्राम) या ब्लोटोसिल (70-100ml) भी दिया जा सकता है।