वनीला की खेती: लाभकारी व्यवसाय की दिशा में एक कदम

By : Tractorbird Published on : 10-Jun-2025
वनीला

भारत में वनीला की खेती मुख्यतः केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर-पूर्वी राज्य एवं अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह जैसे क्षेत्रों में की जाती है। 

यह विश्व का दूसरा सबसे महंगा मसाला है, और इस कारण इसकी खेती किसानों के लिए आर्थिक रूप से काफी लाभदायक साबित हो सकती है। 

यदि आप वनीला की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको मिट्टी, जलवायु, खाद, रोपण एवं सिंचाई से जुड़ी जानकारी होना आवश्यक है।

मिट्टी और जलवायु

  • वनीला की खेती के लिए जैविक पदार्थों से भरपूर, उपजाऊ और अच्छे जलनिकास वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। खेत में जलजमाव की स्थिति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इससे पौधे सड़ सकते हैं। 
  • वनीला की खेती विभिन्न प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन चिकनी मिट्टी से बचना चाहिए। इसकी खेती के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और आर्द्र जलवायु आदर्श मानी जाती है।

खेत की तैयारी

  • भुरभुरी मिट्टी वनीला की जड़ों के लिए लाभदायक होती है। खेत तैयार करने के लिए कम से कम दो से तीन बार जुताई की जाती है। 
  • हल्का ढलान वाला खेत जल निकासी के लिहाज से बेहतर होता है। इससे अतिरिक्त पानी आसानी से निकल जाता है।

खाद एवं उर्वरक

  • मिट्टी की पोषक क्षमता के अनुसार खाद की मात्रा तय की जाती है। आमतौर पर प्रति पौधा 40–60 ग्राम नाइट्रोजन, 20–30 ग्राम फास्फोरस, और 60–100 ग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। 
  • जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग भी लाभकारी होता है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है।

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रोपण प्रक्रिया

  • वनीला की खेती बीज और कटिंग दोनों तरीकों से की जा सकती है, परंतु बीज छोटे और नाजुक होने के कारण सामान्यतः कटिंग से ही रोपण किया जाता है। 
  • रोपाई से पूर्व गड्ढे तैयार कर उसमें खाद मिलाकर पौधों की कटिंग लगाई जाती है। इन कटिंग्स को लगभग 8 फीट की दूरी पर लगाना चाहिए ताकि पौधों को भरपूर स्थान मिले।

सिंचाई और तुड़ाई

  • सिंचाई मिट्टी की नमी और मौसम के अनुसार की जाती है। फूल आने के बाद फलियों को पकने में 6–9 महीने लगते हैं। 
  • जब फलियां हल्के पीले रंग की हो जाती हैं, तब उन्हें तोड़ लेना चाहिए। फलियों की लंबाई औसतन 12 से 25 सेंटीमीटर होती है।

अतिरिक्त सुझाव

वनीला की बेलें सहारे के बिना नहीं बढ़तीं, इसलिए खेत में सहारे के लिए पेड़ या खंभे लगाए जाते हैं। इसकी खेती छाया वाली जगहों में अधिक सफल होती है, इसलिए इसे पेड़-पौधों के नीचे या शेड नेट के नीचे उगाया जा सकता है। 

बाजार में मांग अधिक होने के कारण निर्यात के अवसर भी बढ़ते जा रहे हैं, जिससे छोटे और सीमांत किसान भी अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

इस प्रकार वनीला की खेती न केवल मुनाफे का जरिया बन सकती है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल विकल्प है।

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