बजट 2024-25 में मत्स्य विभाग के लिए बड़ी घोषणा कुल 2,616.44 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया

By : Tractorbird News Published on : 24-Jul-2024
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कृषि के साथ जुड़े क्षेत्रों में, 2014-2023 के बीच 8.9 प्रतिशत की उच्चतम औसत वृद्धि दर के साथ, भारतीय अर्थव्यवस्था के उभरते क्षेत्र के रूप में जाना जाने वाला भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। 

भारत, 2023-24 में 174.45 लाख टन की रिकॉर्ड मछली उत्पादन दर के साथ, वर्तमान में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, और इसका वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत योगदान है।

भारत जलीय कृषि उत्पादन में भी दूसरे स्थान पर है और शीर्ष झींगा उत्पादक और समुद्री भोजन निर्यातक देशों में से एक है। 

यह क्षेत्र 30 मिलियन से अधिक लोगों को आजीविका प्रदान करता है, जिनमें अधिकांश हाशिए पर और कमजोर समुदायों के लोग हैं। 

सुधार-प्रदर्शन-परिवर्तन' के आदर्श वाक्य के साथ, 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए भारत सरकार मत्स्य पालन क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दे रही है। 

पिछली परिवर्तनकारी योजनाओं और पहलों की शुरुआत के बाद, 2024-25 के बजट में मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने हेतु बजट आवंटन बढ़ाने के प्रावधान किए गए हैं।

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मत्स्य पालन विभाग का कुल बजट आवंटन 2,616.44 करोड़ रुपये

  • वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग का कुल बजट आवंटन 2,616.44 करोड़ रुपये है, जबकि 2023-24 में यह 1,701.00 करोड़ रुपये (संशोधित अनुमान) था। 
  • 2023-24 की तुलना में, वित्त वर्ष 2024-25 में मत्स्य पालन विभाग के समग्र बजट में 54 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। 
  • 2024-25 के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के लिए 2,352 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो 2023-24 में 1,500 करोड़ रुपये के आवंटन से 56 प्रतिशत अधिक है।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उच्च गुणवत्ता वाले बीज के लिए गुणवत्तापूर्ण ब्रूड की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु, झींगा ब्रूड स्टॉक के लिए न्यूक्लियस ब्रीडिंग सेंटर (एनबीसी) का नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा की। 
  • साथ ही, नाबार्ड के माध्यम से झींगा पालन, प्रसंस्करण और निर्यात के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

झींगा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए उठाये जाएंगे कदम 

  • एनबीसी में अत्याधुनिक सुविधाओं की स्थापना से जलीय कृषि प्रजातियों की आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता प्राप्त होगी, और झींगा ब्रूड स्टॉक के आयात पर निर्भरता कम होगी। 
  • झींगा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए यह एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि झींगा समुद्री खाद्य निर्यात का मुख्य घटक है। 
  • झींगा निर्यात में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो 2011 में 8,175 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 40,013 करोड़ रुपये हो गया है।
  • मत्स्य पालन अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) के तहत निजी उद्यमियों और निवेशकों को झींगा जलकृषि सुविधाएं, प्रसंस्करण संयंत्र और निर्यात संबंधित अवसंरचना स्थापित करने के लिए रियायती वित्तीय सहायता मिलेगी।
  • अवसंरचना में निवेश, प्रौद्योगिकी को अपनाने और मत्स्य पालन की कार्यप्रणालियों में सुधार से झींगा मूल्य श्रृंखला में उच्च उत्पादन, उत्पादकता, बेहतर गुणवत्ता और अधिक दक्षता प्राप्त होगी। 
  • इस प्रकार वैश्विक और घरेलू बाजारों की मांग को पूरा करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले झींगा मूल्यवर्धित उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि के साथ नए अवसर खुलेंगे।

भारत के झींगा पालन उद्योग को वैश्विक स्तर पर मजबूत बनाने, उत्पादन लागत घटाने और राजस्व एवं लाभ मार्जिन बढ़ाने के लिए प्रमुख इनपुट पर आयात शुल्क में कटौती का प्रस्ताव है। 

झींगा ब्रूडस्टॉक (लिटोपेनेस वन्नामेई और ब्लैक टाइगर/पेनेयस मोनोडॉन) पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत, पॉलीचेट वर्म पर 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत और झींगा और मछली फ़ीड पर 15 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया जाएगा।

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