मछली पालन, जी हां, मछली पालन न सिर्फ आमदनी का अच्छा जरिया है, बल्कि ये प्रकृति के साथ जुड़ने का एक शानदार तरीका भी है।
तालाब के किनारे बैठे हुए, सूरज की किरणें पानी पर नाचती हुई देखना, और मछलियों को इधर-उधर कूदते हुए देखना, ये सब मन को सुकून देने वाला होता है साथ ही अगर ये कमाई दे तो इसमें चार चाँद लग जाते है।
आज यहां हम आपको मछली पालन की ऐसी जानकारी देंगे जिससे की आप इस लेख को पढ़ कर ही मछली पालन का तरीका आसान से सिख सकते है।
सबसे पहले तो आपको अपने तालाब का जायजा लेना होगा। ये तालाब पक्का हो या कच्चा, ये मायने नहीं रखता, बस ये जरूरी है कि पानी जमा रहने लायक गहराई हो, तालाब का साफ-सुथरा होना भी जरूरी है।
अगर आपका तालाब दलदली हो गया है या उसमें गंदगी जमा हो गई है, तो उसे पहले साफ करना होगा, इसके बाद, तालाब में मछलियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाना होता है।
इसके लिए आप कुछ जलीय पौधे लगा सकते हैं, जो पानी को साफ रखने में मदद करेंगे। साफ सुथरे पानी में मछलियां जल्दी पनपती है।
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अब बारी आती है मछली के बीज चुनने की, भारत में कई तरह की मीठे पानी की मछलियां पाली जाती हैं, जैसे किRohu (रोहू), Catla (कटला), Mrigal (मrigal), और Pangasius (पंगासियस)।
आप अपने इलाके में सबसे ज्यादा चलने वाली मछली का चुनाव कर सकते हैं, इसके लिए आप स्थानीय मछली पालन विभाग या किसी अनुभवी मछली पालक से सलाह ले सकते हैं।
बीज हमेशा किसी अच्छी सरकारी हैचरी से ही खरीदें, ताकि बीमारी का खतरा कम हो। अगर आपका बीज उत्तम दर्जे का होगा तो मछली पालन से आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
अगर आप मछली पालन का बिजनेस शुरू करना चाहते हैं, तो आपके लिए खुशखबरी है।
भारत सरकार कई तरह की सब्सिडी योजनाएं चलाती है, जो मछली पालकों की मदद करती हैं, इन योजनाओं के तहत आपको तालाब निर्माण, मछली के बीज, और मछली पालन के लिए जरूरी उपकरणों पर सब्सिडी मिल सकती है।
इन सब्सिडी योजनाओं का फायदा उठाने के लिए आपको अपने जिले के मत्स्य पालन विभाग से संपर्क करना होगा, वहां से आपको सभी जरूरी जानकारी मिल जाएगी।