आज कल खेती की उपज अधिक ना होने के कारण किसानों का रुझान पारंपरिक खेती से हट कर दूसरे कृषि के व्यवसायों की ओर अधिक हो रहा है। मत्स्यपालन एक ऐसा ही व्यवसाय है जिससे किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मत्स्यपालन, किसानों के लिए लगातार मुनाफे वाला बिजनेस बनता जा रहा है।मत्स्यपालन करने वाले किसानों को अपने खेत में तालाब का निर्माण करना पड़ता है।
इस तालाब का इस्तेमाल कई प्रकार के कार्य के लिए सकते हैं जिससे की उनको अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सके। किसान आर्टिफिशियल पौंड का प्रयोग जलीय खेती, बत्तख पालन, मछली पालन और सिंचाई करने के लिए कर सकते,हैं। इस तरह किसान एक तालाब बनाकर चौतरफा कमाई कर सकते हैं। यही वजह है कि आर्टिफिशियल पौंड का निर्माण कर बहुत सारे किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं।
ये योजना किन राज्यों में लागु है?
उन इलाकों में जहां सिंचाई की सुविधा कम है, वहां तालाब बनाने के लिए सरकार अनुदान भी देती है। सरकार राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश और झारखंड जैसे कई राज्यों में तालाब निर्माण के लिए अनुदान देती हैं।
इन राज्यों में किसानों को तालाब के निर्माण से काफी ज्यादा फायदा होता है। यही वजह है कि आज किसान, सामान्य फसलों की खेती के साथ-साथ तालाब निर्माण कर मछलीपालन, बत्तखपालन, जलीय खेती जैसे कार्य भी एक साथ कर रहे हैं। यहां आप आर्टिफिशियल पौंड के निर्माण के फायदों और इस पर सरकार द्वारा दिए जाने वाले अनुदान के बारे में जानेंगे।
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इसके निर्माण की प्रक्रिया भी सामान्य या कच्चे तालाब की तरह ही है लेकिन इस तालाब में नीचे प्लास्टिक शीट और लाइनिंग देनी होती है। सबसे पहले बड़ा सा गड्ढा खोदकर प्लास्टिक शीट और लाइनिंग को अच्छी तरह फिक्स करना होता है। इसके बाद प्लास्टिक शीट के ऊपर प्लास्टिक या जूट का जाल बिछाया जाता है।
प्लास्टिक नेट या जूट का इस्तेमाल करने के बाद तालाब को पानी से भर देना है और इसमें कुछ पाइप को भी छोड़ना है। इस विधि से तालाब निर्माण करने से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि होती है और मछलियों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। तालाब का गड्ढा 5 से 6 फीट तक होना जरूरी है, ताकि मछलियां, तालाब में सही तरह से अपने काम को पूरा कर सके और पानी में वृद्धि कर सकें।
मछलियों का फीड या चारा एग्रीकल्चर शॉप पर या नजदीकी कृषि विभाग से आसानी से मिल जाता है। वहां जा कर आप आसानी से फीड या चारा खरीद सकते हैं।
आर्टिफिशियल तालाब में किसानों को मछलियों को खाना भी आर्टिफिशियल तरीके से ही देना होता है। मछलियों को अच्छा और पौष्टिक आहार देने के लिए नजदीकी कृषि विभाग से संपर्क करके ही चारे की खरीद करें।
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तालाब बनाने में कितना खर्च आता है ?
तालाब का खर्च साइज और आयतन पर निर्भर करता है। अगर तालाब छोटा है, तो तालाब बनाने में खर्च करीब 1 लाख रुपए आता है लेकिन अगर तालाब बड़ा और ज्यादा आयतन वाला है तो तालाब बनाने में दो से ढाई लाख रुपए का खर्च आता है।
सरकार किसानों को आत्मनिर्भर बनने के लिए तालाब बनाने के लिए अनुदान देती है। ये अनुदान 0 से 90% तक दिया जाता है। अनुदान की राशि और प्रतिशत आपके राज्य के ऊपर निर्भर करता है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर किसानों को तालाब बनाने में सहायता करती है।
सरकार तालाब निर्माण के आलावा मछली पालन पर भी अनुदान देती है। किसान हर साल औसतन 10 से 12 लाख रुपए की कमाई कर सकते हैं।
अनुदान कहाँ से प्राप्त होगा?
तालाब निर्माण पर अनुदान लेने के लिए आप अपने राज्य के कृषि विभाग या मत्स्यपालन विभाग की वेबसाइट पर जाएं। भारत के ज्यादातर राज्यों में तालाब निर्माण पर अनुदान दिया जाता है। अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन करें।
ऑनलाइन जानकारी न मिले तो आप अपने नजदीकी किसान सलाहकार, कृषि विभाग कार्यालय या मत्स्यपालन विभाग कार्यालय या एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से इस विषय में जानकारी ले सकते हैं। इससे आपको अपने क्षेत्र में चल रही तालाब निर्माण योजना की सटीक जानकारी मिल जाएगी और उसका लाभ भी मिल जाएगा।