जैसा की आप जानते हैं नैनो यूरिया और नैनो फ़र्टिलाइज़र आज कल बहुत चर्चा में है। दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने भले ही नैनो यूरिया का एक्सपोर्ट शुरू कर दिया है। नैनो यूरिया एक प्लास्टिक की बोतल में बंद एक फ़र्टिलाइज़र है जो की नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए बनाया गया है। नैनो यूरिया की बोतल एक यूरिया के बैग के बराबर है।
एक मिडिया रिपोर्ट से पता लगा है कि विदेशी वैज्ञानिकों में नैनो यूरिया बहुत खटक रहा है। डेनमार्क के दो वैज्ञानिकों ने निर्माता के दावे के अनुसार उत्पाद की प्रभावकारिता पर सवाल उठाए हैं। घरेलू मोर्चे पर नैनो यूरिया पर कई जगहों पर सवाल उठाए गए हैं लेकिन पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे लेकर किसी ने विवाद को जन्म दिया है।
इन वैज्ञानिकों ने स्वतंत्र निकायों द्वारा वैज्ञानिक शोध कराने की मांग की है कि क्या नैनो यूरिया का पौधों के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, पड़ता है तो किस हद तक। हालांकि, भारतीय उर्वरक उद्योग ने इस शोध पत्र की मंशा पर सवाल उठाए हैं। मुद्दा ये है कि क्या कुछ देश भारत की इस खोज से जल रहे हैं।
अभी तक अधिकतर किसानों को सम्पूर्ण जानकारी नहीं है की नैनो यूरिया का छिड़काव किस तरीके से करें की फसल में उससे फायदा हो सके। कई किसान इसको फसल में ड्रिप या सिंचाई के पानी की नाली में डाल कर देते हैं जिससे की इसका कोई प्रभाव नहीं होता है।
किसान भाइयों इस नैनो यूरिया का इस्तेमाल आपको स्प्रे के रूप में करना है। इस उत्पाद का फसल पर सीधा छिड़काव करने से ही इसका फायदा होगा। नैनो यूरिया को आप पानी में घोल कर फसल पे छिड़काव करें जिससे की फसल के पत्तों पर जब ये नैनो फ़र्टिलाइज़र गिरेगा तो पत्तियां इसे सोख लेंगी जिससे की फसल की अच्छी बढ़वार होगी और अच्छा उत्पादन होगा। बिना सिंचाई के भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं।