किसान भाइयों आपको यह मालूम ही होगा कि विगत वर्ष 2023 को भारत सरकार ने मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया था।
श्री अन्न और मोटे अनाज को अन्य फसलों की तरह तवज्जो दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई सराहनीय प्रयास किए गए।
विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी भारत सरकार की तरफ से किसान भाइयों को मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
मोटे अनाज की खेती कर किसान भाई काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि गेहूं-धान जैसे पारंपरिक फसलों की जगह किसान ज्वार और बाजरा की खेती कर अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र कोडरमा के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर ए.के राय ने मीडिया एजेंसी से कहा कि गेहूं-चावल के मुकाबले में बाजरा में अधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं।
इसमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम,पोटेशियम जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह विटामिन और फाइबर का भी शानदार स्रोत है।
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मधुमेह के मरीजों के लिए बाजरा का सेवन करना काफी स्वास्थ्यवर्धक होता है। उन्होंने बताया कि ज्वार और बाजरा की खेती के लिए कोडरमा का जलवायु काफी अनुकूल है।
कोडरमा की जलवायु को उत्तरी भारत के शुष्क और मध्यम चरम जलवायु और बंगाल बेसिन के गर्म, नम जलवायु के बीच के रूप में वर्णित किया जा सकता है।
पहले के लोग गेहूं-चावल से भी ज्यादा ज्वार और बाजरा की रोटी खाते थे। क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि स्वास्थ्य, उत्पादन और आय के दृष्टिकोण से यह पूर्णतय लाभकारी फसल है।
बाजरा में कैंसर से लड़ने की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा होती है। शर्दियों के मौसम में बाजरा की रोटी का सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य पर इसका काफी असर दिखता है।
शहरी क्षेत्र में भी अब लोग बाजरा के पोषक तत्वों को समझ चुके हैं। अब इसका उपयोग सिर्फ रोटी बनाने के लिए नहीं बल्कि बिस्कुट और केक के रूप में भी पसंद किया जा रहा है।
बाजरा की खेती जहां लोगों के लिए फायदेमंद है। वहीं इससे पशुओं को भी बेहद लाभ होता है। ज्वार और बाजरा के पौधे को पशु के चारे के तौर पर भी उपयोग में लिया जाता है, जो कि अत्यंत पौष्टिक होता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि बुवाई के उपरांत ज्वार और बाजरा की फसल 60 से 70 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
इसमें गेहूं और धान की खेती के मुकाबले कम उर्वरक और कम पानी की आवश्यकता होती है। बाजरा की उत्तम उपज के लिए किसान संकर किस्म के बीज सीएसएच- 5, सीएसएच-9, सीएसएच-14, सीएसएच-18 का इस्तेमाल कर सकते हैं।
इनके पौधे लंबे, गोल भुट्टों वाले होते हैं।1 एकड़ में 5 केजी बीज लगाने पर 12 से 15 क्विंटल उत्पादन हांसिल होता है। वहीं, पशुओं के लिए भरपूर मात्रा में हरा और मीठा पशु चारा भी मिलता है।