गेहूं की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं

By : Tractorbird News Published on : 18-Nov-2024
गेहूं

गेहूं की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना जरूरी है ताकि अधिक पैदावार मिल सके और अधिक मुनाफा मिल सके। 

उन्नत गेहूं की किस्में फसल का उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ाती हैं। उन्नत किस्मों में से कुछ 90-97 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन दे सकते हैं। 

गेहूं की उन्नत किस्में और उनकी विशेषताएं इस लेख में आपको देखने को मिलेगी।

गेहूं की टॉप उन्नत किस्में 

1. गेहूं की किस्म - करण वंदना (Karan Vandana)

  • करण वंदना, जिसे DBW 187 के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) करनाल द्वारा विकसित की गई एक प्रमुख किस्म है। 
  • यह प्रति हेक्टेयर लगभग 96.6 क्विंटल तक उत्पादन देने में सक्षम है। यह किस्म पीले रतुआ और ब्लास्ट जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है।
  • - उपयुक्त क्षेत्र: पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, और जम्मू।
  • - फसल अवधि: 148 दिन।
  • - विशेष उपयोग: ब्रेड बनाने के लिए उपयुक्त।

2. गेहूं की किस्म - करण श्रिया (Karan Shriya)

  • करण श्रिया, जिसे DBW 252 भी कहा जाता है, को जून 2021 में आईसीएआर-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा लॉन्च किया गया था। 
  • यह किस्म कम सिंचाई की आवश्यकता पर भी अच्छी पैदावार देती है। इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 55 क्विंटल तक हो सकता है।
  • - उपयुक्त क्षेत्र: पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और उत्तर-पूर्व के तराई क्षेत्र।
  • - फसल अवधि: 127 दिन।
  • - विशेषता: कम सिंचाई की आवश्यकता।

3. गेहूं की किस्म - करण नरेंद्र (Karan Narendra)

  • करण नरेंद्र, जिसे DBW 222 के नाम से भी जाना जाता है, आईसीएआर द्वारा विकसित एक उच्च उत्पादक किस्म है। 
  • यह प्रति हेक्टेयर 82.1 क्विंटल तक उत्पादन देती है और रोटी, ब्रेड, और बिस्किट बनाने के लिए आदर्श मानी जाती है।
  • - उपयुक्त क्षेत्र: पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, और जम्मू।
  • - फसल अवधि: 143 दिन।
  • - विशेष उपयोग: विभिन्न प्रकार के खाद्य उत्पादों के लिए। 

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