भारत सरकार ने सात देशों में गैर-बासमती चावल के 10 लाख टन से अधिक के निर्यात की दी अनुमति

By : Tractorbird News Published on : 27-Oct-2023
भारत

आपकी जानकारी के लिए बात दें कि केंद्र सरकार ने 18 अक्टूबर 2023 को सरकार के आधार पर सात देशों को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात को लेकर मंजूरी दे दी है। सरकार के मंजूरी पत्र के अनुसार भारत 10.34 लाख टन चावल का निर्यात करेगा। ये निर्यात फिलीपींस, मलेशिया, गिनी गणराज्य और नेपाल जैसे अन्य देश को किया जाएगा। 

अलग अलग क्षमता के आधार पर किया जाएगा निर्यात

केंद्र सरकार ने गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट (जी2जी) के आधार पर सात देशों को 10.34 लाख टन गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की अनुमति दे दी है। 18 अक्टूबर 2023 को विदेश व्यापार महानिदेशालय ने एक अधिसूचना जारी की जिसके अनुसार नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड शिपमेंट का प्रबंधन करेगा। फिलीपींस को 10.34 लाख टन में से सबसे अधिक 2.95 लाख टन चावल मिलेगा। जबकि कैमरून 1.9 लाख टन, मलेशिया 1.7 लाख टन, कोटे डी आइवर 1.42 लाख टन और गिनी 1.42 लाख टन है। इसके अलावा, सेशेल्स को 800 टन और नेपाल को 95,000 टन मिलेंगे।

सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक क्यों लागई थी ?

संबंधित सरकारों से गैर-बासमती सफेद चावल की सप्लाई की मांग के बाद ही निर्यात की अनुमति दी गई है। 20 जुलाई को भारत ने सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था, जिसका उद्देश्य घरेलू बाजार में आपूर्ति सुनिश्चित करना था और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करना था। भारत सरकार ने फिर कहा कि वह कमजोर और पड़ोसी देशों की खाद्य सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करेगी। इसके अलावा, भारत ने अपने अच्छे द्विपक्षीय संबंधों की वजह से सिंगापुर को चावल देने पर भी समझौता किया था।

चावल एक्सपोर्ट शुल्क कितना है ? 

भारत ने 20 प्रतिशत चावल एक्सपोर्ट शुल्क भी लगाया है। साथ ही बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य प्रति टन 1,200 डॉलर निर्धारित किया गया है। 2022 के सिंतबर में, केंद्र ने टूटे हुए चावल के परिवहन पर प्रतिबंध लगाया था। ये प्रतिबंध इस साल के खरीफ सीज़न में धान की फसल पर दक्षिण-पश्चिमी मानसून के प्रभाव को देखते हुए लगाए गए। 

जहां मानसून जून में देर से शुरू हुआ है वहीं जुलाई में अधिक बारिश हुई। अगस्त में बारिश तीस प्रतिशत कम हुई। आपको बता दें कि इस साल के वार्षिक वर्षा के मौसम का प्रभाव स्पष्ट है। दक्षिण-पश्चिम मानसून देश की सालाना बारिश का लगभग 85 प्रतिशत योगदान देता है।

जुलाई महीने में हुई भारी बारिश ने हरियाणा और पंजाब में धान की फसल को खराब कर दिया है। वहीं अगस्त महीने में लंबे समय तक शुष्क मानसून से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में फसल प्रभावित हुई है। 

केंद्रीय सरकार ने बताया कि इस वर्ष चावल का उत्पादन 112 मिलियन टन (एमटी) होगा। हालाँकि, फसल का पहला अग्रिम इस्टीमेट अभी तक नहीं जारी किया गया है, जो अक्सर सितंबर के आखिरी सप्ताह में जारी किया जाता है। 




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