इस तकनीक से होगी मादा भैंसों की संख्या में बढ़ोतरी जाने इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी
By : Tractorbird News Published on : 19-Jan-2023
देश की इकोनॉमी को बढ़ाने में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की अहम भूमिका है इसमें भी पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है। देश में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं की नस्ल सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार भी मादा भैंसों की संख्या बढ़ाने के लिए सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक पर काम कर रही है।
खेती के बाद अब पशुपालन भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे ले जा रहा है। देश-विदेश में भारत के साथ कृषि उत्पादों के साथ-साथ डेयरी उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। इससे पशुपालन व्यवसाय को भी गति मिल रही है। कुछ समय पहले तक दुधारु पशुओं की संख्या को लेकर भी चुनौतियां थी। इसी चुनती को खत्म करने के लिया ये तकनीक बनाई गयी है जिसे सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक नाम दिया गया है।
इस तकनीक के सीमन का इस्तमाल भैंसों के लिए किया जाएगा इस सीमन के इस्तेमाल से केवल मादा कटड़िया ही पैदा होगी जिससे मादा भैंसों की संख्या में इजाफा होगा।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Gokul Mission) के तहत ये कार्यक्रम चलाया है।
- देश में राष्ट्रीय गोकुल मिशन (National Gokul Mission) के नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत इसी तकनीक को प्रमोट किया जा रहा है। इसी तकनीक का मुख्य उदेश्य मध्य प्रदेश में मादा भैसों की नस्ल संवर्दन करके इनकी संख्या में इजाफा करना है।
- मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम ऑफ भोपाल मदर बुल फॉर्म में भी अब गौवंशों के साथ भैंसवंशों के नस्ल सुधार का काम चल रहा है। इससे राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने और श्वेत क्रांति (White Revolution) में योगादन देने में खास मदद मिलेगी।
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सेक्स सोर्टेड सीमन तकनीक की मदद से सिर्फ मादा भैंस पैदा होगी
अब ब्राजील की तरह मादा पशुओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश का कुक्कुट विकास निगम अब भैंसों में सेक्स सार्टेड सीमन (Sex Sorted Simon) की तकनीक का परीक्षण करेगा। इस तकनीक से भैसों का कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) किया जाएगा, ताकि मादा प्रजाति की भैंस-पढ़िया (Female Buffalo Calf) ही पैदा हो और नर संतानों की पैदाईश को रोका जा सके।
पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों ने इस प्रोजेक्ट के बारे में क्या जानकारी दी
- पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के जरिए भैसों में दूध देने की क्षमता का विकास होगा और हर भैंस से रोजाना 20 लीटर तक दूध का उत्पादन लेने में मदद मिलेगा।
- इससे किसान और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और उनकी आय भी बढ़ेगी।
- एक्सपर्ट्स ने बताया कि इसी तकनीक की तर्ज पर ब्राजील ने भारत के देसी पशुधन के जरिए 20 से 54 लीटर तक दूध उत्पादन लेने का रिकॉर्ड कायम किया है।
कौन-कौन सी भैसों की नस्लों का होगा सुधार
- इस प्रोजेक्ट से मध्य प्रदेश कुक्कुट विकास निगम के सहयोग से मादा बुल फॉर्म स्थित लैब में मुर्रा नस्ल के भैंसे बुल से सेक्स सार्टेड सीमन से 50,000 स्ट्रा तैयार किए जा रहे हैं।
- इस मादा संवर्धन और नस्ल सुधार कार्यक्रम में मुर्रा, जाफराबादी और भदावरी नस्ल की भैसों को शामिल किया गया है।
- इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन देने वाली मुर्रा भैंस का नस्ल सुधार होगा। फिलहाल, मुर्रा भैंस का दूध उत्पादन 12 से 15 लीटर है। जिसे बढ़ाकर 20 लीटर से ऊपर ले जाने की योजना है।
- पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि मुर्रा नस्ल हरियाणा की नस्ल है। जिसे दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार करने में 35 साल का समय लगा और अब इससे दूसरी नस्लों का सुधार किया जा रहा है। ये नस्ल विश्व की सबसे ज्यादा दूध देने वाली नस्ल है।
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मादा पशु हैं डेरी व्यवसाय का भविष्य
देश-विदेश में दूध और इससे बने उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। इसलिए अब पशुपालक भी अच्छी मात्रा में दूध देने वाले मवेशियों की तरफ रुख कर रहे हैं। इस मामले में पशु विशेषज्ञ बताते हैं कि एक मादा मवेशी ही डेयरी फार्म का भविष्य होती है। यही गर्भधारण करती है और दूध देती है, इसलिए मादा पशुओं की पैदाईश बेहद जरूरी है।
यही वजह है कि अब सरकार भी दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत सेक्स सॉर्टेट सीमेन से कृत्रिम गर्भाधान को प्रमोट कर रही है। इससे मादा पशुओं के पैदा होने की संभावना 90 से 95 फीसदी तक होती है।