सरसों की इस किस्म से होगा अधिक उत्पादन जानिए इसके बारे में यहां

By : Tractorbird News Published on : 30-Sep-2024
सरसों

किसान भाइयों खरीफ की फसलों की कटाई चल रही हैं। खरीफ की फसलों की कटाई के बाद किसान रबी की फसलों की बुवाई करेंगे। 

रबी के सीजन में कई फसलों की बुवाई की जाती हैं जिनमें से तिलहनी फसल में सरसों का अहम् स्थान हैं। 

सरसों का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को बीज का चुनाव करते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए। 

प्रमाणित और उन्नत किस्मों के बीज से ही अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भी किसानों के लिए रबी फसलों के बीज जारी किए हैं। 

आगामी रबी सीजन में सरसों की बुवाई के लिए आईसीएआर (ICAR) ने सरसों की नई किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 जारी की है। 

इस लेख में हम आपको इस किस्म के फीचर्स के बारे में जानकारी देंगे।

सरसों की उन्नत किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 

  • किसानों के उत्पादन को अधिक करने के लिए देश की सरकार और कृषि अनुसंधान संस्थान निरंतर कार्य कर रहें हैं। 
  • इसी दिशा में कार्य करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए रबी की फसल सरसों के लिए एक नयी वैरायटी लांच की हैं जिसका नाम पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 (पीडीजेड 14) हैं। 
  • कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ये किस्म अच्छी देगी और कई रोगो से प्रतिरोधी होने के कारण किसानों को अधिक लाभ होगा। 
  • इस किस्म की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 21.48 क्विंटल से अधिक है इस किस्म की सरसों केवल 130 - 132 दिन में तैयार हो जाएंगी।

इस किस्म में नहीं होगा होगा कई रोगों का प्रकोप 

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के द्वारा तैयार की गई सरसों की नयी किस्म पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 35 कई रोगों से प्रतिरोधी है। 
  • इस फसल में सरसों में लगने वाले घातक रोगों का प्रकोप नहीं होगा। 
  • सरसों की इस किस्म में सफेद रतुआ रोग यानी व्हाइट रस्ट, अल्टरनेरिया ब्लाइट यानी फफूंदी रोग, स्केलेरोटिनिया स्टेम रॉट यानी फफूंदी रोग, डाउनी फफूंद और पाउडरी फफूंद रोग का प्रकोप नहीं होगा, जिससे की फसल की उपज पर कोई प्रभाव नहीं होगा। 
  • किसानों का फफूंदनाशकों का भी खर्च कम होगा जिससे उत्पादन लागत कम होगी और उत्पादन में वृद्धि होगी।

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