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किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ मौसम के लिए खेत तैयार करें और पानी की बचत करें। फसल प्रबंधन में आसानी के लिए धान के पुआल, संस्तुत कम अवधि वाली किस्मों को प्राथमिकता दें।
किसानों को सलहा दी जाती है कि ये समय कपास की बुवाई के लिए उत्तम समय है। इस समय आप खेत की तैयारी करके फसल की बिजाई कर सकते है, बिजाई से पहले खेत में नमी की मात्रा अच्छी होनी चाहिए। कपास की बुवाई 15 मई तक की जाती है, पर कई स्थानों पर बुवाई मई के अंत तक भी की जा सकती है। आम तौर पर, बी.टी. कपास की बुआई का उपयुक्त समय 1 मई से 20 मई तक है। लेकिन अप्रैल से 15 मई के बीच फसल की बुवाई से फसल में पिंक बॉलवर्म के हमले को कम किया जा सकता है।
कपास में बीज दर बी.टी. कपास का 900 ग्राम प्रति एकड़ डेल और कतार से कतार की दूरी 100 से.मी. और पौधे से पौधे की दूरी 45 से.मी.रखें। बुवाई के समय 45 कि.ग्रा. यूरिया व 45 कि.ग्रा. डीएपी, 30-40 किग्रा एमओपी व 10 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट बुवाई के समय दें।
बीकानेरी कपास की बुआई का उपयुक्त समय 15 अप्रैल से 15 मई तक है, लेकिन बुवाई मई के अंत तक भी किया जा सकता है।
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कपास के बीज के ऊपर से रुई को हटाने के लिए वाणिज्यिक सल्फ्यूरिक एसिड का प्रयोग करें। कपास के 10 किलो बीज के लिए 1 लीटर सल्फ्यूरिक एसिड पर्याप्त होता है। अंदर पाए जाने वाले गुलाबी कीड़े को रोकने के लिए चौबीस घंटे बीज पे कम से कम 3 ग्राम एल्युमिनियम फास्फाइड के साथ 4 से 40 किलोग्राम बीज का छिड़काव करें।
नवजात बछड़ो को पहले 10 दिन की उम्र में, उसके बाद 15 दिन की उम्र में और फिर तीन महीने बाद फिर से दवाओं की उचित खुराक के साथ कृमिनाशक दवा देनी चाहिए।
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इसके बाद किसान को एक साल की उम्र तक हर 3 महीने के बाद कृमिनाशक दवा का ध्यान रखना चाहिए।
पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान के 3 महीने बाद गर्भावस्था का निदान किया जाना चाहिए।
डेयरी पशुओं को कभी भी अधिक अनाज नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे कीटोसिस हो सकता है और उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।