केंद्र सरकार कृषि उत्पादन को और बढ़ाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) तथा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) के माध्यम से कृषि क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) को बढ़ावा दे रही है।
सरकार द्वारा कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डीएआरई) का बजट 2019-20 में 7846.17 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2023-24 में 9504 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस बढ़ोतरी से किसानों को फायदा होगा।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद किसानों के लिए करती है विकास कार्य
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि क्षेत्र में मौजूदा समस्याओं का समाधान प्रदान करने के लिए राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर लगातार कृषि अनुसंधान एवं विकास कार्य में संलग्न है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा बीज हब परियोजनाओं, दलहनों व तिलहनों, पोषक-उद्यानों, जलवायु के प्रति लचीली कृषि गतिविधियों तथा प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन को बढ़ावा देने के माध्यम से कृषि उत्पादन को प्रोत्साहन हेतु विभिन्न कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं (एआईसीआरपी) बहु-स्थलीय परीक्षणों के माध्यम से विभिन्न प्रौद्योगिकियों के विकास/परीक्षण/पहचान के लिए कार्य करती हैं।
जबकि कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (एटीएआरआई), कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के माध्यम से कार्यान्वित प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के आईसीएआर प्रायोजित हस्तांतरण की योजना, निगरानी, समीक्षा एवं मूल्यांकन के क्षेत्र में काम करते हैं।
सरकार इसके उपयोग और क्षमता विकास के लिए प्रौद्योगिकी मूल्यांकन एवं प्रदर्शन के अधिदेश के साथ देश के विभिन्न राज्यों में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) योजना लागू कर रही है।
कृषि विज्ञान केंद्र अपनी गतिविधियों के हिस्से के रूप में किसानों, कृषक महिलाओं और ग्रामीण युवाओं को कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्रदान करता है। इन केंद्रों ने 19.53 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया है।
इस मामले में ज्ञान व कौशल आंकड़ों को अद्यतन करने के लिए 2022-23 के दौरान फसल उत्पादन, बागवानी, मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता प्रबंधन, पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन, गृह विज्ञान/महिला सशक्तिकरण, कृषि इंजीनियरिंग, पौध संरक्षण तथा मत्स्य पालन पर 2,98,932 फ्रंट लाइन प्रदर्शन आयोजित किए।