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छत्तीसगढ़ में पीपीपी(पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के जरिए तैयार देश का पहला एथेनॉल प्लांट बनकर तैयार हो गया है। इस प्लांट में गन्ने के रस का इस्तेमाल करके एथेनॉल बनाया जाएगा। अप्रैल महीने से इस प्लांट में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। इससे किसानों को भी फायदा मिलेगा वहीं, पेट्रोल-डीजल भी सस्ता हो सकता है।
छत्तीसगढ़ में नया एथेनॉल प्लांट करीब-करीब तैयार हो चुका है| यह पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के जरिए तैयार देश का पहला एथेनॉल प्लांट होगा।अप्रैल महीने से इस प्लांट में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है| कवर्धा जिले में भोरमदेव शक्कर कारखाने के बगल में इस प्लांट को स्थापित किया गया है |
अप्रैल महीने से इस प्लांट में कार्य शुरू होने की उम्मीद है इससे किसानों को भी मदद मिलेगी। एथेनॉल से पेट्रोल डीज़ल की खपत को कम किया जा सकता है| जिससे पेट्रोल डीज़ल की कीमत भी कम हो सकती है। छत्तीसगढ़ में ये कवर्धा जिले में भोरमदेव शक्कर कारखाने के बगल में इस प्लांट को स्थापित किया गया है। यहां गन्ने के रस का इस्तेमाल करके एथेनॉल बनाया जाएग। बता दें कि 2020 में सीएम भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने इस प्लांट की मंजूरी दी थी| इस प्लांट को लगाने के लिए उच्च स्तर पर काम चला और अब यह उत्पादन के लिए तैयार है। एक अनुमान के मुताबिक, 80 किलोलीटर उत्पादन का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है, जिसे भविष्य में और भी बढ़ाने की योजना है। गनी एथेनॉल के उत्पादन के लिए सरकार की योजना है कि गन्ने की खेती वाले इलाकों के रकबों को बढ़ाया जाएगा। इसके लिए जमीनी स्तर पर काम करने के लिए कृषि विभाग ने सिंचाई की व्यवस्था और गन्ने की खेती के लिए मुफीद मृदा का परीक्षण भी इसमें शामिल किया है| सरकार का जोर है कि किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इससे किसानों की सालाना आय तो बढ़ेगी ही, साथ ही पेट्रो पदार्थ के विकल्प एथेनॉल के उत्पादन का दायरा भी बढ़ेगा।
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एथेनॉल को पेट्रो पदार्थों यानी पेट्रोल और डीजल आदि में मिश्रण करने की मंजूरी मिली है। इससे काफी मात्रा में जिवाषाम ईंधन की बचत होगी। साथ ही एथेनॉल के अत्यधिक ज्वलनशील होने के कारण भविष्य में यह पेट्रो पदार्थों का विकल्प भी बन सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, एथेनॉल के उत्पादन से राज्य में पेट्रोल डीज़ल के रेट में भी कमी आ सकती है। एथेनॉल जैसे ईंधन का प्रयोग कर के इंजन की उम्र भी बढ़ाई जा सकती है। एथेनॉल निर्माण के लिए ज्यादा गन्ने आवश्यकता होगी जिससे किसानों को उनकी फसल का अच्छा रेट मिलेगा।