खरीफ फसलों का सीजन शुरू हो गया है। ऐसे में किसानों को खाद की जरूरत है। किसान इसमें सबसे अधिक यूरिया खरीदते हैं। यूरिया पैदावार को बढ़ाता है, लेकिन इसका अधिक उपयोग भूमि की उर्वरकता के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। नैनो यूरिया, जो कम मात्रा में भी अधिक प्रभावी है, अब बाजार में उपलब्ध है। यूरिया को सरकार सब्सिडी देती है।
सब्सिडी के बाद किसानों को यूरिया बहुत सस्ता मिलता है। इसके बाद भी किसानों को यूरिया पाने में कई बार मुश्किल होती है। इसके पीछे कारण यह है कि कुछ दुकानदार यूरिया को बाजार में कमी दिखाकर अधिक पैसा कमाने के लिए कालाबाजारी करते हैं। इससे किसानों को मजबूरन अधिक दाम पर बाजार से यूरिया खरीदना पड़ता है। ऐसे लोगों पर अब सरकार ने लगाम लगा दी है।
खरीफ सीजन के लिए यूरिया का एक रेट फिक्स कर दिया गया है। अब किसानों को इसी रेट पर यूरिया बेचा जाएगा। इससे ज्यादा रेट पर यूरिया बेचता हुआ कोई मिला तो उस पर कठोर कार्यवाही की जाएगी। राज्य सरकार ने किसानों के हित में यह फैसला लिया है। इससे लाखों किसानों को लाभ होगा। किसानों को निरंतर सस्ती दर पर यूरिया उपलब्ध हो सकेगा।
लखनऊ के जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह ने बताया कि यूरिया की एक बोरी का मूल्य 266.50 रुपए है। किसान इसी दर पर यूरिया पाएंगे। प्रदेश के सभी सरकारी और निजी कृषि केद्रों और दुकानों पर यूरिया और डीएपी की भरपूर मात्रा उपलब्ध है। साथ ही सरकार ने यूरिया की अधिकतम मात्रा भी निर्धारित की है। यदि कोई विक्रेता इस मात्रा से अधिक स्टॉक करता है तो उस पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। सरकार का मानना है कि मात्रा निर्धारित करने से किसानों को यूरिया मिलने में कोई समस्या नहीं होगी और अवैध बिक्री पर रोक लगेगी।
सरकार यूरिया को किसानों को सस्ती दर पर देती है। किसानों को सरकारी सब्सिडी नहीं मिलती, बल्कि कंपनियों को सीधे दी जाती है। यूरिया की 45 किलो बोरी एक कंपनी से 2450 रुपए में मिलती है, लेकिन सरकार की सब्सिडी से किसानों को 266.50 रुपए मिलते हैं। इस तरह से देखा जाए तो यूरिया पर सरकार बहुत अधिक धन खर्च कर रही है।
नियमों के अनुसार, जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह ने कहा कि अगर कोई खाद विक्रेता अनाधिकृत उर्वरक या निर्धारित मानकों से अधिक मात्रा बेचता है तो प्रशासन उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगा। वहीं किसानों से अतिरिक्त शुल्क की शिकायत मिलने पर दुकान का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।