सरकार जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है ताकि देश में फसल उत्पादन की लागत को कम करने और किसानों की आय को बढ़ाने के साथ ही लोगों को गुणवत्तापूर्ण फसल मिल सके।
इसके लिए केंद्र सरकार ने देश भर में कई कार्यक्रम बनाए हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने की योजनाओं की जानकारी दी
राष्ट्रीय मृदा स्वास्थ्य और जल धारण क्षमता में सुधार करने के लिए सरकार ने 2015-16 से परंपरागत कृषि विकास योजना और मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती को प्राथमिकता दी है।
दोनों योजनाओं में जैविक खेती में लगे किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणन और विपणन तक सभी प्रकार की सहायता देने पर बल दिया गया है, साथ ही साथ कटाई के बाद प्रबंधन प्रशिक्षण और क्षमता विकसित करने पर भी ध्यान दिया गया है।
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भारत सरकार ने मृदा परीक्षण आधारित सिफारिश के अनुसार जैविक और जैव उर्वरक के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित किया है।
सरकार “धरती माता के पुनरुद्धार, जागरूकता, पोषण और सुधार के लिए प्रधानमंत्री कार्यक्रम (पीएम-प्रणाम)” नामक योजना को लागू करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को वैकल्पिक उर्वरकों (जैविक और जैव) के उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे सतत उत्पादकता और मृदा स्वास्थ्य में सुधार होगा।
जैविक और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए, कार्यक्रम राज्य सरकारों को उर्वरक सब्सिडी की बचत का पचास प्रतिशत तक प्रोत्साहन देगा।
साथ ही सरकार ने जैविक उर्वरक, तरल किण्वित जैविक खाद और किण्वित जैविक खाद के लिए 1,500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की बाजार विकास सहायता की घोषणा की है।