प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का शुरू से यह कहना है कि वह किसानों की आय हर संभव दोगुनी करने के लिए वचनबद्ध हैं। इसी कड़ी में उन्होंने एक नयी योजना बनाई है जिसके जरिए किसानों को बीज सस्ती दर पर उपलब्ध होंगे और किसानों की आय भी बढ़ पाएगी।
दरअसल, मोदी सरकार किसानों की आय दोगुनी करेगी इसके चलते किसानों के हित में निरंतर प्रयासरत है। कृषि को बेहतर बनाने के लिए और किसानों को समृद्ध बनाने के लिए केंद्र सरकार ने किसानों के लिए कृषि फसल बीमा, सॉइल(Soil) हेल्थ कार्ड और पीएम किसान जैसी विभिन्न कल्याणकारी योजनाएँ जारी की हैं।
इन समस्त योजनाओं का लक्ष्य किसान की आय को बढ़ाना और उनके विकास में सहयोग करना है। अब केंद्र सरकार ऐसी योजना जारी करने वाली है जिससे किसानों को सस्ती दर पर बीज मिलेंगे और भारत के निर्यात में भी वृद्धि होगी।
केंद्र सरकार द्वारा भारत में सहकारिता आंदोलन को प्रोत्साहन देने के लिए सहकारिता मंत्रालय का स्थापित किया है। वर्तमान में यही मंत्रालय किसानों के हित में उनकी आमदनी को दुगना करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर 3 नवीन को-ऑपरेटिव स्थापित करने जा रहा है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल अतिशीघ्र राष्ट्रीय स्तर के 3 को-ऑपरेटिव की स्थापना हेतु प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर देगा। यह को-ऑपरेटिव भारत में जहां उत्तम गुणवत्ता के बीजों की उपलब्धता को सुद्रण करेंगे। वहीं भारतीय निर्यात में भी बढ़ोत्तरी अवश्य दर्ज होगी।
इनमें से एक को-ऑपरेटिव भारतीय जैविक खाद्यान को भी प्रोत्साहित करने की अहम भूमिका निभाएगी। ईटी ने एक सीनियर सरकारी अधिकारी के माध्यम से जानकारी प्रदान की है, कि विश्व के विभिन्न देशों में को-ऑपरेटिव्स के अधिकाँश उत्पादों की अत्यधिक माँग है।
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लेकिन, राष्ट्रीय स्तर पर कोई अंब्रेला को-ऑपरेटिव नहीं होने के कारण इनका निर्यात समुचित ढंग से नहीं हो पाता है। भारत आज तक को-ऑपरेटिव की क्षमता का बेहतर उपयोग नहीं कर पाया है।
बीज की उपलब्धता एवं निर्यात को प्रोत्साहन प्रदान करने वाले राष्ट्रीय को-ऑपरेटिव्स दिल्ली में होंगे। जबकि जैविक खाद्यान हेतु स्थापित होने वाले को-ऑपरेटिव का मुख्यालय गुजरात के आणंद जनपद में होगा। सहकारिता मंत्रालय ने विदेश मामलों के मंत्रालय एवं वाणिज्य मंत्रालय को बताया है, कि वह उसे इस कार्य हेतु आवश्यक मदद मुहैय्या करवाए।
दरअसल, विभिन्न अन्य देशों के अंदर इस प्रकार के उत्पादों की अधिकाँश माँग है। साथ ही, यदि वहां गुणवत्ता के पैमाने से जुड़े संबंध में कोई शोध अथवा अध्ययन हुआ है, तब उसकी भी जानकारी प्रदान करें। ताकि को-ऑपरेटिव के निर्यात में बढ़ोत्तरी की जा सके।
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भारतीय कुल चीनी पैदावार का 30.6 फीसद उत्पादन को-ऑपरेटिव करते हैं, परंतु, भारत से चीनी के होने वाले कुल निर्यात में को-ऑपरेटिव चीनी मिलों के सीधे निर्यात की हिस्सेदारी 1 फीसद से भी कम है। इस प्रकार भारत में उर्वरकों की पैदावार में को-ऑपरेटिव की भागीदारी 28.8 फीसद, खाद वितरण में 35 फीसद एवं दूध के सरप्लस को खरीदने में 17.5 फीसद की हिस्सेदारी है।