अब भारत, जी-20 की सफलता के बाद किसानों से जुड़े बड़े कार्यक्रम की मेजबानी करेगा, 150 देश शामिल होंगे

By : Tractorbird News Published on : 12-Sep-2023
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दुनिया के 150 देशों के कृषि वैज्ञानिक तीन साल तक कृषि के अधिकारों पर चर्चा करेंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने जी-20 में भारत की सफलता की प्रशंसा की। कार्यक्रम में देसी और परंपरागत किस्मों के संरक्षण के लिए छह कृषि समुदायों को 10 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।

भारत में पहली बार कृषि अधिकारों पर वैश्विक सम्मेलन प्लांट वैराइटी और कृषि अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA) द्वारा आयोजित किया जा रहा है। 12 से 15 सितंबर तक, नई दिल्ली में स्थित नेशनल अकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (NAAS) कांप्लेक्स में दुनिया के 150 देशों से कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। संयुक्त राष्ट्र संघ का कृषि और खाद्य संगठन (FAO) भी इसमें अग्रणी है। इसकी शुरुआत मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु करेंगी। अब जी-20 की बैठक खत्म होने के बाद कृषि क्षेत्र में एक बड़ा कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

उद्घाटन समारोह में वर्ष 2021 और 2022 के लिए छह कृषक समुदायों को 10 हजार से 10 लाख रुपये का 'प्लांट जीनोम सेवियर कम्युनिटी अवॉर्ड' दिया जाएगा। देसी और पारंपरिक प्रजातियों के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए यह पुरस्कार दिया जाता है। जबकि 20 अन्य लोगों को डेढ़-डेढ़ लाख रुपये का अतिरिक्त पुरस्कार दिया जाएगा। राष्ट्रपति इस अवसर पर प्लांट अथॉरिटी भवन और पौधा किस्म पंजीकरण पोर्टल भी शुरू करेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी इस अवसर पर उपस्थित होंगे। 

किसानों के अधिकारों पर की जाएगी बात 

विभिन्न देशों में किसानों के अधिकार और सीड वैराइटी के एक्सचेंज पर चर्चा तीन दिनों तक होगी।इसमें किसानों के अधिकारों को लागू करने के लिए नए विचारों और कारगर उपायों पर चर्चा होगी। विभिन्न देशों में किसानों के अधिकारों पर चर्चा होगी। 

नास कॉम्प्लेक्स में एक प्रेस में अथॉरिटी के चेयरमैन त्रिलोचन महापात्र ने इसकी जानकारी दी है। उनका कहना था कि वैश्विक संगोष्ठी में पांच सौ से अधिक प्रतिनिधियों का आगमन होना चाहिए। एफएओ मुख्यालय रोम के सचिव डॉ. केंट ननाडोजी ने प्रेस कांफ्रेंस में जी-20 की सफलता और भारत की मेजबानी को सराहना की।

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अथॉर‍िटी में क‍िसानों की बनाई क‍ितनी क‍िस्में? 

2001 में अपने पीपीवीएफआर अधिनियम के तहत पौधा किस्म रजिस्ट्री के माध्यम से भारत ने मानव अधिकारों को शामिल करने वाला पहला देश बन गया। किसान अपनी खेती खुद तैयार करके रजिस्टर कर सकता है। PPVFAR प्राधिकरण ने अब तक 5,293 पौधा किस्मों को पंजीकृत किया है। यह लगभग चालीस प्रतिशत है। 

अब तक, इस अधिनियम के तहत 35 कृषि समुदायों को मान्यता दी गई है। प्रत्येक व्यक्ति को दस लाख रुपये का नगद पुरस्कार दिया गया है। जबकि 51 किसानों को डेढ़ लाख रुपये का नगद पुरस्कार दिया गया है। अब तक आठ सौ किसानों को पौधा किस्मों और आनुवंशिक संसाधनों को बचाने के लिए पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये दिए गए हैं। 

अंतरराष्ट्रीय संधि के 150 देश हैं सदस्य 

प्लांट जेनेटिक्स के खाद्य और कृषि संसाधनों पर भी अंतरराष्ट्रीय संधि है। इसमें 150 देश शामिल हैं। इन देशों के वैज्ञानिक इस कार्यक्रम में उपस्थित होंगे। किसान वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जैव विविधता की रक्षा करते हैं। यही कारण है कि इस कार्यक्रम में विश्व भर से सहयोग जुटाने की कोशिश की जाएगी।

अंतरराष्ट्रीय संधि के अनुच्छेद 9 में खाद्य और कृषि के लिए प्लांट जेनेटिक्स के संरक्षण और विकास में स्थानीय और स्वदेशी समुदायों और नागरिकों की भूमिका बताई गई है। लेकिन यह किसी भी देश को बाध्यकारी नहीं है।

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