सेरीकल्चर क्या है? कैसे करते है रेशम किट पालन?

By : Tractorbird News Published on : 25-Dec-2022
सेरीकल्चर

रेशम किट पालन हमारे देश में रेशम की साड़ियों का विशेष स्थान है पुराने समय से ये भारतीय नारी का पहनावा है। भारत की साड़िया देश के बुनकरों की शिल्प कला का जनन उद्धारण है। इसीलिए भारत में रेशम किट पालन बड़े स्तर पर किया जाता है। रेशम किट पालन कर के किसान अच्छा - खासा मुनाफा कमा सकते है। रेशम एक प्राकृतिक रेशा है रेशम उत्पादन या इसकी खेती को सेरीकल्चर कहते है। रेशम किट पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की और से किसानो को भरपूर सहयोग दिया जा रहा है। 

रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए 1949 में रेशम बोर्ड की स्थापना की गयी थी। रेशम किट पालन कृषि पर आधारित एक कुटीर उद्योग है ग्रामीण क्षेत्र में कम लागत में उद्योग में सिघ्र उत्पादन शरू किया जा सकता है।

इसके अलावा कृषि कार्यो और घरेलु कार्यो के साथ भी रेशम किट उद्योग का उत्पादन किया जा सकता है। 

हमारे देश में 2 तरह का रेशम उत्पादन किया जाता है।

  • शहतूती रेशम या मलबरी सिल्क
  • गैर शहतूती रेशम या नहन मलबरी सिल्क 
  • भारत में शहतूती रेशम का उत्पादन जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, आंध्रा प्रदेश, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में किया जाता है। 
  • बिना शहतूत वाले रेशम का उत्पादन झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तेर प्रदेश और उत्तर पूर्वी राज्यों में किया जाता है।

रेशम किट पालन से किसान अच्छी आय ले सकते है खास बात तो ये है की रेशम किट पालन महिलाए भी कर सकती है। अगर सही मार्ग दर्शन में किसान रेशम की ट्रेनिंग ले कर इस व्यवसाय को अपनाये तो अच्छा मुनाफा कमा सकते है

शहतूत की खेती की जानकारी

रेशम किट पालन करने के लिए सब से पहले आपको शहतूत की खेती करनी होगी। शहतूत लगाने के लिए खेत को जोत कर अच्छे से तैयार कर ले इसके बाद 4 x4 फ़ीट की दुरी पर पोधो का रोपण करे इस प्रकार एक एकड़ में 2700 से 3600 पौधे लगा सकते है। एक एकड़ से 6000 - 7000 किलोग्राम पत्तियों का उत्पादन होता है। 

कैसे करे कीटों का रख - रखाव

कीड़ो का पालन करने के लिए साफ सुथरी जगह का चुनाव करें । कीटों के रखरखाव के लिए ट्रे, बास और टैंक का प्रयोग कर सकते है। सबसे पहले कीटांडु क़ो ला के साफ जहन पर रखे। कीटांडु से प्रस्फुटित किट बहुत ही कोमल होते है। इस अवस्था में इनको केवल कोमल पत्ते ही देने चाहिए जब किट 28 दिन के हो जाते है तब ये 8000 गुना आकाऱ बढ़ा लेते है। एक किट एक दिन में 30 -35 ग्राम तक शाहशुत की पत्ती खाता है। रेशम किट चार बार केंचुली उतारते है। इसके बाद जब वे रेशम का निर्माण करते है तो 72 घंटो तक कुछ नहीं खाते और रेशम निर्माण की प्रिक्रिया चलती है।

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एक एकड़ से कितना उत्पादन मिलता है

एक किट 35 से 40 किलोग्राम रेशम (खोया) निर्माण करता है। प्रति एकड़ के हिसाब से एक एकड़ में 225 -240 किलोग्राम उत्पादन होता है। इसकी बिक्री सरकार खुद करवाती है।

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