सरकार की तरफ से किसान हित में उठाए गए कुछ जरूरी कदम
By : Tractorbird News Published on : 18-Dec-2024
किसान भाइयों को कृषि के माध्यम से अधिक मुनाफा दिलाने के लिए सरकार की तरफ से तीव्रता से प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।
किसान हमेशा से हमारे देश का आधार रहे हैं। इस वजह से केंद्र और राज्य सरकारें अपने अपने स्तर से नवाचार और कुछ ठोस उपायों के माध्यम से देश के इस आधार को सुदृण बनाने की कोशिश कर रही हैं।
आगे इस लेख में हम इन्हीं में से कुछ क़दमों के विषय में चर्चा करेंगे।
राष्ट्रीय कृषि नीति
- पहली राष्ट्रीय कृषि नीति जुलाई, 2000 में घोषित की गई थी। इस नीति का मकसद भारतीय कृषि की विशाल अप्रयुक्त क्षमता को साकार करना है।
- साथ ही, इसका लक्ष्य कृषि क्षेत्र में हर साल 4% फीसद से ज्यादा की वृद्धि दर हासिल करना है। यह समानता के साथ विकास हासिल करने की भी कोशिश करता है, यानी सभी क्षेत्रों और किसानों में व्यापक विकास हो।
- यह घरेलू बाजारों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने और कृषि उत्पादों के निर्यात से अधिकतम फायदा उठाने की जरूरतों पर भी बल देता है।
- नीति को क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न उपाय किए गए हैं। नीति के अनुसरण में, सहयोग, बीज और विस्तार जैसे क्षेत्रों पर राष्ट्रीय नीतियां बनाई गई हैं।
खाद्यान्न उत्पादन
साल 2001-02 के दौरान 212.02 मिलियन टन का कुल खाद्यान्न उत्पादन अब तक का रिकॉर्ड था। यह विभिन्न कारकों से संभव हुआ, जिसमें किसानों को महत्वपूर्ण इनपुट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम भी शम्मिलित हैं।
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कृषि योजना में मैक्रो-प्रबंधन
- यह क्षेत्रीय रूप से विभेदित रणनीतियों को क्रियान्वित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि सीमित वित्तीय आबंटन का इच्छित क्षेत्रों में समय पर तथा प्रभावी अनुप्रयोग हो, नियोजन एवं कार्यान्वयन के कार्यक्रमिक से मैक्रो प्रबंधन मोड में एक बड़ा परिवर्तन दर्शाता है।
- राज्यवार कार्य योजनाएँ संवादात्मक तरीके से तैयार की जाती हैं। 27 चालू केंद्र प्रायोजित योजनाओं को एकीकृत किया गया है तथा उनके अंतर्गत उपलब्ध निधियों को कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए राज्यों को सहायता प्रदान करने के लिए समेकित किया गया है।
- चालू वित्त वर्ष के दौरान, इस योजना के अंतर्गत 700 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की गई है।
पूर्वी भारत में 'खेत पर जल प्रबंधन'
- अपने प्रचूर जल संसाधनों और अनुकूल मृदा संरचना के साथ, पूर्वी भारत में विभिन्न फसलों की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि करने की क्षमता है।
- हालांकि, इस क्षेत्र में भूजल के इस्तेमाल के लिए कोई बड़ी योजना न होने की वजह पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा था।
- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मणिपुर, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के 171 जिलों में "पूर्वी भारत में फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए ऑन फार्म वाटर मैनेजमेंट" नामक एक नई योजना प्रारंभ की गई है।
प्रौद्योगिकी मिशन
- कपास पर प्रौद्योगिकी मिशन की शुरुआत 2000 में की गई थी। इसमें उत्पादन प्रौद्योगिकी, उत्पादन कार्यक्रम, बाजार हस्तक्षेप और जिनिंग और प्रेसिंग इकाइयों के आधुनिकीकरण पर अलग-अलग मिनी-मिशन हैं।
- इसका मकसद घरेलू और निर्यात उद्देश्यों के लिए कपास की बढ़ती मांग को पूर्ण करना है।
- सिक्किम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में बागवानी के एकीकृत विकास के लिए प्रौद्योगिकी मिशन 2001-02 के दौरान 239 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया था।
- इस योजना का उद्देश्य अनुसंधान, विकास और विपणन को शामिल करते हुए क्षेत्र में बागवानी के विकास से जुड़े समस्त मुद्दों को संबोधित करना है। इस मिशन को हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू और कश्मीर तक विस्तारित किया गया है।
ग्रामीण भंडारण योजना
- ग्रामीण गोदामों के निर्माण, नवीनीकरण और विस्तार की एक योजना, जिसे ग्रामीण भंडारण योजना कहा जाता है, 2001-02 के दौरान शुरू की गई थी।
- इस योजना से विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को काफी लाभ होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में विपणन बुनियादी ढांचे में सुधार भी होगा।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति
- मार्च, 2002 में घोषित नीति का मकसद देश में सहकारी समितियों के सर्वांगीण विकास को सहज बनाना है।
- इसके अंतर्गत सहकारी समितियों को स्वायत्त, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक ढंग से प्रबंधित संस्थाओं के रूप में काम करने में सक्षम बनाने के लिए उन्हें आवश्यक समर्थन, प्रोत्साहन और सहायता प्रदान की जाएगी।