अनानास (pineapple farming ) की खेती कैसे की जाती है ? जानिए सम्पूर्ण जानकारी
By : Tractorbird News Published on : 08-Nov-2024
भारत में अनानास की खेती व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फलों की खेती में से एक है। अनानास को अंग्रेजी में पाइनएप्पल बोलते हैं, इसके कई स्वास्थ्य से जुड़े लाभ भी हैं जैसे की भूख बढ़ाने से लेकर पेड़ की कई दिक्कतों तक।
किसानों के लिए इसकी खेती काफी फायदेमंद होती है, क्योंकि बज्र में इसकी अच्छी खासी कीमत बानी रहती है। भारत के कई राज्यों में 12 महीने इसकी खेती की जा सकती है।
भारत अनानास का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है। अन्य प्रमुख उत्पादक थाईलैंड, फिलीपींस, ब्राजील, चीन, नाइजीरिया, मैक्सिको, इंडोनेशिया, कोलंबिया और अमेरिका हैं। इस लेख में हम आपको अनानास की खेती से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी देंगे।
अनानास की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
- अनानास की खेती (pineapple farming ) के लिए आर्द्र उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके फल समुद्री तट के पास और आंतरिक भाग में भी अच्छी तरह से उगता है।
- अनानास से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 22 -32 डिग्री C इष्टतम तापमान की आवश्यकता होती है।
- रात में उच्च तापमान पौधे की वृद्धि के लिए हानिकारक है और दिन और रात के तापमान के बीच कम से कम 4 डिग्री C का अंतर अच्छा मन जाता है।
- अनानास को वर्षा की आवश्यकता 100-150 सेमी के बीच होती है।
- इसकी खेती के लिए 5.0-6.0 के बीच pH वाली बलुई दोमट मिट्टी पौधों की वृद्धि के लिए आदर्श होती है।
- मिट्टी में जल निकासी की वावस्थ होनी बहुत आवश्यक है अधिक पानी खड़े होने से फसल को नुकसान भी होता है।
भारत में उगाई जाने वाली अनानास की किस्में
भारत के विभिन्न राज्यों में खेती की जाने वाली महत्वपूर्ण किस्में निम्नलिखित दी गई हैं:
केव, क्वीन, मॉरीशस, Giant केव आदि इसकी उन्नत किस्में हैं।
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अनानास की बुवाई के लिए भूमि की तैयारी
- भूमि को जुताई या खुदाई के बाद समतल करके रोपण के लिए तैयार किया जाता है।
- भूमि की प्रकृति के आधार पर, सुविधाजनक लंबाई की खाइयाँ, लगभग 90 सेमी. चौड़ाई एवं 15-30 सेमी. गहराई तैयार की जाती है।
अनानास का रोपण
- अनानास को आमतौर पर सकर, स्लिप और क्राउन द्वारा प्रचारित किया जाता है।
- 5-6 महीने की आयु वाली इन रोपण सामग्रियों में रोपण के 12 महीने बाद फूल आते हैं, सिवाय मुकुटों के जिनमें 19-20 महीने के बाद फूल आते हैं।
- टिश्यू कल्चर के माध्यम से उत्पादित अनानास के पौधे भी खेती के लिए उपलब्ध हैं।
- पौधों को कली सड़न से बचाने के लिए रोपण सामग्री को रोपण से पहले सेरेसन घोल (1 लीटर पानी में 4 ग्राम) या 0.2% डाइथेन एम-45 में डुबोया जाना चाहिए।
अनानास की खेती में सिंचाई प्रबंधन
- भारत में अनानास की खेती अधिकतर वर्षा आधारित परिस्थितियों में की जाती है।
- सिंचाई से साल भर के उत्पादन को बनाए रखने के लिए ऑफ-सीजन रोपण स्थापित करने में भी मदद मिलती है।
- कम वर्षा और गर्म मौसम की स्थिति में 20-25 दिनों में एक बार सिंचाई की व्यवस्था की जा सकती है।
अनानास की कटाई
- रोपाई के बाद अनानास के पौधे 12-15 महीने बाद फूल आते हैं और फल रोपण के 15-18 महीने बाद तैयार हो जाते हैं।
- फल आमतौर पर फूल आने के लगभग 5 महीने बाद पकता है। अनियमित फूल आने के कारण कटाई लंबी अवधि तक होती है।