पके पकाये फल परिवहन एवं भंडारण के दौरान खराब हो जाते हैं, जिसकी वजह से बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। परंतु राइपनिंग तकनीक में पकने से पूर्व ही फलों को पेड़ से तोड़ लिया जाता है। पारंपरिक फसलों में हानि में वृध्दि के कारण बागवानी फसलों की कृषि को प्रोत्साहित किया जा रहा है। देश-विदेश में हो रही फल एवं सब्जियों की माँग के मध्य बागवानी कृषकों हेतु लाभकारी भी प्रतीत हो रहा है, परंतु कम अवधि की फल-सब्जियों में हानि की संभावना बेहद अधिक होती है। यदि वक्त पर फल-सब्जियों को मंडियों या बाजार में ना विक्रय करें तो सड़ने-गलने की दिक्क्त उत्पन्न हो जाती हैं। इसलिए अब प्रत्येक राज्य में कोल्ड स्टोरेज एवं पैक हाउसेस निर्मित किये जा रहे हैं, जिससे कि फल-सब्जियों को समुचित तापमान पर रखा जा सके। फिलहाल, वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसी तकनीक खोजी है, जिससे कच्चे फलों की तुड़ाई के उपरांत भंडारण में ही पका सकते हैं। इस तकनीक का नाम फ्रूट राइपनिंग है, हम आपको इस लेख के जरिये कच्चे फलों को पकाने वाली फ्रूट राइपनिंग तकनीक से होने वाले लाभ एवं कृषकों को इस तकनीक हेतु मिलने वाली आर्थिक मदद के संबंध में अवगत कराएंगे।
आमतौर पर पके हुए फल परिवहन एवं भंडारण के समय खराब हो जाते हैं, इसी वजह से बागवानों को काफी हानि का सामना करना होता है। परंतु राइपनिंग तकनीक के माध्यम से फसलों के पकने से पूर्व ही पेड़ से तोड़ लिया जाता है, इसके उपरांत अत्यधिक समय तक फलों का भंडारण एवं परिवहन किया जा सकता है। इस तकनीक के तहत फलों को पकाने हेतु चैंबर निर्मित किये जाते हैं, जो कि कोल्ड स्टोरेज की भाँति ही होती है।
एथिलीन गैस इन चैंबरों में छोड़कर फलों को पकाया जाता है। इसी प्रकार फल ४ से ५ दिन में पक कर तैयार हो जाते हैं एवं फलों का रंग-रूप अच्छा होकर बेहतरीन दिखता है, हालांकि फलों को पकाने हेतु विभिन्न पारंपरिक विधियां भी होती हैं। परंतु इस आधुनिक तकनीक द्वारा फलों के सड़ने-गलने की समस्या से काफी राहत मिलती है। इस तकनीक का प्रयोग केला, सेब, आम, पपीता जैसे काफी फलों को पकाने के लिए किया जाता है।
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फल सब्जियों के सड़ने-गलने से छुटकारा दिलाने को सरकार भी देगी अनुदान
पेड़ पर फल पकने के उपरांत स्वतः ही भुमि पर गिर पड़ते हैं, जिसकी वजह से फल की गुड़वत्ता में गिरावट आ जाती है। इससे अतिरिक्त भी पके पकाये फलों की ग्रेडिंग आदि करने एवं परिवहन के माध्यम से मंडी तक पहुंचाने में भी बहुत समय खराब होता है, जिसकी वजह से किसान काफी बुरी तरह प्रभावित होता है। यदि फलों की अच्छी तरह पैकिंग ना हो पाए तो भी पके पकाये फल सड़ने-गलने लगते हैं। जिस वजह से फलों की जीवनावधि भी प्रभावित होती है, जिसके कारण से उच्च स्तर पर फलों का उत्पादन करने वाले कृषकों हेतु फलों को सुरक्षित रख पाना ही बेहद कठिन हो जाता है। भारत में आधुनिक कृषि एवं नवीन तकनीकों को प्रोत्साहित करने हेतु सरकारें विभिन्न योजनाएं चला रही हैं, जिसके चलते कृषकों एवं कृषि उद्यमियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इसी प्रकार फ्रूट राइपनिंग हेतु भी कोल्ड स्टोरेज बनाने के लिए सरकार द्वारा ३५ से ५० प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। किसान या बागवान यदि चाहें तो कृषि के साथ-साथ कृषि व्यवसाय अथवा एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्कीम से अनुदान राशि प्राप्त करके स्वयं भी कोल्ड स्टोरेज खोल सकते हैं। जो कि कटाई के बाद फसल प्रबंधन कार्यक्रम में शम्मिलित है, जिससे देश का कोई भी किसान फायदा उठा सकता है।