तेज पत्ता की खेती: एक लाभकारी मसाला व्यवसाय फसल
By : Tractorbird Published on : 28-Apr-2025
तेज पत्ता एक अत्यंत लोकप्रिय मसाला है, जिसका उपयोग भारतीय रसोई में स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके पत्तों का उपयोग विभिन्न व्यंजनों, खासकर पुलाव, बिरयानी, सब्जी और करी में प्रमुखता से किया जाता है।
इसके अलावा, तेज पत्ता कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है, जैसे कि यह पाचन में सहायक होता है, एंटीऑक्सीडेंट गुण रखता है, और सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं में भी उपयोगी होता है। इसकी लगातार बनी रहने वाली मांग इसे एक आकर्षक और लाभदायक कृषि व्यवसाय बना देती है।
तेज पत्ता की खेती के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी
- तेज पत्ता की अच्छी पैदावार के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु जरूरी है। यह पौधा 20 से 35 डिग्री सेल्सियस के तापमान में बेहतर बढ़ता है, और इसे सालाना 150 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
- तेज धूप या बहुत ठंडी हवाएं इस फसल के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं।
- मिट्टी की बात करें तो तेज पत्ता बलुई दोमट या दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगता है।
- मिट्टी का पीएच 5.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए और उसमें अच्छी जल निकासी व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि जलभराव के कारण जड़ें न सड़ें। जैविक खाद और गोबर की खाद से मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाया जा सकता है।
प्रमुख किस्में और खेत की तैयारी
भारत में तेज पत्ते की प्रमुख किस्में हैं:
1. भारतीय तेज पत्ता (Cinnamomum tamala) – यह सबसे सुगंधित और उत्तम किस्म मानी जाती है।
2. बंगाल तेज पत्ता (Cinnamomum obtusifolium)
3. असम तेज पत्ता
4. दक्षिण भारतीय तेज पत्ता
खेत की तैयारी में शुरुआत में खेत को 2-3 बार जोतना चाहिए ताकि मिट्टी नरम हो जाए। साथ ही नीम खली, गोबर की खाद और कम्पोस्ट जैसी जैविक खादों का भरपूर उपयोग करना चाहिए।
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पौधों की तैयारी, रोपाई और देखभाल
- तेज पत्ते के पौधे बीजों या कलमों से तैयार किए जा सकते हैं। बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर नर्सरी में बोना चाहिए, जबकि कलमों से पौधे तैयार करने के लिए 15–20 सेंटीमीटर लंबी टहनियों का उपयोग करना चाहिए। लगभग 3-4 महीने में पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
- रोपाई के समय पौधों के बीच 2x2 मीटर की दूरी रखनी चाहिए। प्रत्येक गड्ढे में जैविक खाद मिलाकर पौधे लगाएं और रोपाई के बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें।
सिंचाई, खाद और कटाई
- सिंचाई गर्मियों में 7-10 दिन के अंतराल पर करें। वर्षा ऋतु में जल निकासी पर विशेष ध्यान दें। ड्रिप सिंचाई विधि अपनाने से पानी की बचत के साथ पौधों को जरूरी नमी भी मिलती रहती है।
- खाद प्रबंधन में प्रति पौधा 5-10 किलोग्राम गोबर की खाद और संतुलित मात्रा में एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) देना चाहिए।
- कटाई दूसरे वर्ष से शुरू करनी चाहिए। परिपक्व पत्तों को सावधानीपूर्वक तोड़कर छायादार स्थान पर सुखाना चाहिए ताकि उनकी सुगंध और गुणवत्ता बनी रहे।
उत्पादन, भंडारण और विपणन
- एक परिपक्व पौधा सालाना 2 से 5 किलोग्राम सूखे पत्ते दे सकता है। पत्तों को सूखाने के बाद साफ और सूखे कंटेनरों में संग्रहित करें। प्लास्टिक या टिन के डिब्बों में रखकर उन्हें कीट और नमी से बचाएं।
- तेज पत्ता की मांग न केवल घरेलू बाजार में है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इसके अच्छे दाम मिलते हैं। किसान चाहें तो सीधे प्रोसेसिंग यूनिट्स या मसाला कंपनियों से संपर्क करके भी अपनी उपज बेच सकते हैं।
- यदि उचित जलवायु, मिट्टी, खाद प्रबंधन और सिंचाई विधियों का पालन किया जाए तो तेज पत्ता की खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
- यह एक दीर्घकालिक और टिकाऊ व्यवसाय बन सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां इसकी जलवायु उपयुक्त हो। उचित जानकारी और प्रयास के साथ किसान इस मसाला फसल को अपनी आय का सशक्त स्रोत बना सकते हैं।