कपास की बुआई का सही समय और तरीका – अधिक पैदावार के लिए किसानों के लिए जरूरी सलाह

By : Tractorbird Published on : 01-May-2025
कपास

देश के कई हिस्सों में अब कपास की बुआई का समय आ गया है। किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन मिले, इसके लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार ने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं। 

ये सलाहें कपास की बुआई के समय, बीज चयन, खाद-उर्वरक की मात्रा और बीज उपचार पर आधारित हैं। आइए जानते हैं कपास की सफल खेती के लिए क्या करें और क्या न करें।

कपास की बुआई का उपयुक्त समय

- देसी कपास की बुआई: अप्रैल महीने में पूरी कर लें।

- बीटी नरमा की बुआई: मध्य मई तक पूर्ण करें।

-विश्वविद्यालय ने जून महीने में नरमा की बुआई करने से मना किया है।

बुआई की दिशा और समय

- बुआई से पहले खेत में गहरा पलेवा जरूर दें।

- पूर्व से पश्चिम दिशा में बीज बोएं, ताकि पौधों को पूरा धूप मिले।

- सुबह या शाम के समय ही बुआई करें, जब तापमान कम हो।

खरपतवार नियंत्रण

- बिजाई के तुरंत बाद या जमाव से पहले स्टोम्प (2 लीटर प्रति एकड़) का छिड़काव करें।

ड्रिप सिंचाई का तरीका (टपका विधि)

- जमाव से पहले: सुबह-शाम 10-15 मिनट तक ड्रिप चलाएं।

- जमाव के बाद: हर 4 दिन बाद 30-35 मिनट तक सिंचाई करें।

खाद और उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management in Cotton Farming)

बुआई से पहले मिट्टी की जांच जरूर करवाएं। इससे आवश्यक पोषक तत्वों की सही मात्रा पता चलती है।

बीटी नरमा के लिए खाद और उर्वरक (प्रति एकड़):

- 1 बैग यूरिया

- 1 बैग डीएपी

- 30-40 किलोग्राम पोटाश

- 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट (21%)

ये भी पढ़ें: औषधीय पौधों की खेती का भारत में महत्व

देसी कपास के लिए खाद और उर्वरक (प्रति एकड़):

- 15 किलोग्राम यूरिया

- 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट

कपास की उन्नत किस्में और बीज की मात्रा

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित देसी किस्में:

- HD 123

- HD 432

किसान अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि अधिकारी से भी उन्नत किस्मों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

बीज की मात्रा (Per Acre):

  • अमेरिकन कपास - रोंये उतारे बीज, 6-8 किलोग्राम, रोंएदार बीज 8-10 किलोग्राम 
  • देसी कपास - रोंये उतारे बीज- 5 किलोग्राम/हेक्टेयर, रोंएदार बीज 6 किलोग्राम
  • बीटी नरमा: 2 पैकेट प्रति एकड़
  • पौधों की दूरी: 100×45 सेमी या 67.5×60 सेमी

बीज उपचार की विधि (Seed Treatment for Cotton)

बीज उपचार से फफूंद व जीवाणुओं से बचाव होता है और फसल की सुरक्षा 40-45 दिन तक बनी रहती है।

उपचारित दवाइयाँ (10 लीटर पानी में मिलाएं):

- एमिशन – 5 ग्राम

- स्ट्रेप्टोसाइक्लीन – 1 ग्राम

- साक्सीनिक – 1 ग्राम

उपचार समय:

- रोंएदार बीज: 6-8 घंटे तक भिगोएं

- रोंये उतारे बीज: 2 घंटे तक भिगोएं

दीमक से बचाव

 - बीज को उपचार के बाद छाया में सुखाकर, प्रति किलो बीज पर:

 - 10 मिली क्लोरपाइरीफॉस 20 EC

 - 10 मिली पानी

 को मिलाकर छिड़कें और अच्छे से मिलाएं। फिर 30-40 मिनट छाया में सुखाकर बुआई करें।

निष्कर्ष

कपास की अधिक पैदावार पाने के लिए समय पर बुआई, सही बीज और उर्वरक का चयन, साथ ही उचित बीज उपचार बेहद जरूरी है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की सलाह को अपनाकर किसान कम लागत में बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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