मूंग की खेती भारत में कई स्थानों पर की जाती है। मूंग एक दलहनी फसल है जिसमे प्रोटीन की मात्रा अच्छी पाई जाती है। मूंग के दानो में लगभग 24 - 25 प्रतिशत प्रोटीन, 60 प्रतिशत कार्बोहायड्रेट और 1.3 प्रतिशत वसा पाई जाती है।
उत्तर भारत में गर्मी के मौसम में मूंग की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। मूंग की खेती से अच्छी पैदावार लेने के लिए कई कार्य करने होते है इस लेख में हम आपको बातएंगे की मूंग की अच्छी पैदावार के लिए क्या करें ?
मूंग की खेती में खेत में 1 बार मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई कर के 2 - 3 बार कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करनी चाहिए और सुहागा फेर कर खेत को बराबर कर लेना चाहिए। बीज की बुवाई करने पहले मिट्टी भुरभुरी हो जानी चाहिए।
मूंग की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों का चुनाव करना बहुत आवश्यक होता है, उन्नत किस्मों की बुवाई से ही अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है, मूंग की अच्छी पैदावार देने वाली किस्में हैं - नरेंदर मूंग 1 ,पंत मूंग 2 , पंत मूंग 4 , एच्.यू.ऍम 6 , सुनैना , जवाहर मूंग 45 और जवाहर मूंग 70 आदि।
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गर्मी के मौसम में मूंग की अच्छी पैदावार लेने के लिए बीज दर 8 किलोग्राम प्रति एकड़ रखनी चाहिए और बुवाई कतरो में 20-25cm की दुरी पर करनी चाहिए।
खरीफ मौसम में मूंग की फसल की बुवाई जून महीने के दूसरे पखवाडे से जुलाई के पहले पखवाडे के बीच करनी चाहिए। कई रोगों से बचाव के लिए मूंग के बीजों को पहले कार्बेन्डाजिम से उपचारित करने के बाद ही बोना चाहिए।
मूंग एक दलहनी फसल हैं जो की आपने आप ही वातवरण की नाइट्रोजन को ग्रहण कर लेता हैं, इसलिए मूंग की फसल में ज्यादा नाइट्रोजन की जरुरत नहीं पड़ती है , फिर भी 10 किलोग्राम नाइट्रोजन , 20kg फोस्फोरस व 8-10 kg पोटाश की मात्रा प्रति एकड़ की दर से बुवाई के समय देना फ़ायदेमंद होता हैं।
गंधक की कमी वाले क्षेत्रों में गंधकयुक्त उर्वरक 8 किलोग्राम का इस्तेमाल कर सकते है। सभी चारों तरह के उर्वरकों की पूरी मात्रा बुवाई से पहले या बुवाई के समय ही देनी चाहिए।
मूंग की अच्छा पैदावार प्राप्त करने के लिए फसल में सिंचाई की भी आवश्यकता होती है। गर्मी में मूंग की फसल में खरीफ की तुलना में पानी की ज्यादा जरुरत होती है।
खरीफ के मौसम में फसल में 15 से 20 दिनों के अंतराल पर 3-4 सिंचाई अवश्य करें। अगर सिंचाई करने के बाद अधिक वर्षा हो जाती हैं तो खेत से जल निकासी का उचित प्रबंधन करें।
मूंग की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए खरपतवार नियंत्रण का विशेष ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है। फसल में बुवाई के 15-20 दिनों बाद पहली और 40-45 दिनों बाद दूसरी निराई करनी चाहिए।
खरपतवारो के नियंत्रण के लिए खरपतवारों नाशक दवा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, इसके लिए फ़्लूएक्लोरीन 45 EC की 500 ग्राम की मात्रा 200 लीटर पानी में मिला कर एक एकड़ में छिड़काव करे।