मूंग की खेती के लिए मुसीबत बनी सफेद मक्खी, जानिए इसकी रोकथाम की सलाह

By : Tractorbird Published on : 28-Aug-2024
मूंग

खरीफ सीजन में मूंग की खेती करने वाले किसानों को सफेद मक्खी कीट की वजह से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 

उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में इस कीट के कारण मूंग की फसल में पीला मोजेक रोग फैल रहा है, जिससे फसल उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है अगर समय पर उपाय नहीं किए गए। 

उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग ने किसानों को इस रोग से बचने के लिए तीन कीटनाशकों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है।

खरीफ मूंग के क्षेत्र में हुई बढ़ोतरी 

  • केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार इस बार खरीफ सीजन में दालों की बंपर बुवाई हुई है। 
  • 20 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक, मूंग दाल का रकबा पिछले साल के मुकाबले 3 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा है। 
  • पूरे देश में 33.24 लाख हेक्टेयर में मूंग की बुवाई हुई है, जबकि पिछले साल इसी समय पर 30.27 लाख हेक्टेयर में बुवाई की गई थी। 
  • अन्य दालों जैसे अरहर, उड़द आदि का कुल रकबा 120.18 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि पिछले सीजन में यह 113.69 लाख हेक्टेयर था।

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भयानक रोग को फैलाती है सफेद मक्खी

  • बारिश के कारण खेतों में पानी भरने से मूंग के किसान इन दिनों सफेद मक्खी कीट से परेशान हैं। 
  • यह मक्खी पौधों पर पीला मोजेक वायरस फैलाती है, जिससे पौधों की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और उनका विकास रुक जाता है। 
  • उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के वैज्ञानिकों ने इस मक्खी के संक्रमण से फसल को बचाने के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं।

पिले मोजेक रोग के कारण आती है उपज में भारी गिरावट   

  • यूपी कृषि विभाग के वैज्ञानिकों के अनुसार, मूंग की फसल में पीला मोजेक रोग (Yellow mosaic virus) के कारण पौधों में पीलेपन की समस्या देखी जा रही है। 
  • इस रोग को फैलाने वाली सफेद मक्खी रोगग्रस्त पौधों से स्वस्थ पौधों में संक्रमण फैलाती है। 
  • इसलिए फसल को इस रोग से बचाने के लिए सफेद मक्खी को नियंत्रित करना जरूरी है।

इन कीटनाशकों के छिड़काव से किया जा सकता है रोकथाम 

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान बुवाई के समय रोगप्रतिरोधी किस्मों का चयन करते, तो इस रोग का असर नहीं होता। 

लेकिन अब फसल बढ़ने की स्थिति में है, इसलिए इस समय सायपरमेथ्रीन, डेल्टामेथ्रिन या डाईमिथोएट जैसे कीटनाशकों को मानक पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। किसान ध्यान दें कि इनमें से किसी एक ही कीटनाशक का उपयोग करें।

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