औषधीय पौधे वे पौधे होते हैं जो द्वितीयक उपपदार्थों (secondary metabolites) से समृद्ध होते हैं और औषधियों के संभावित स्रोत होते हैं। इन द्वितीयक उपपदार्थों में ऐल्कलॉइड्स, ग्लाइकोसाइड्स, कुमेरिन्स, फ्लेवोनॉइड्स, स्टेरॉयड्स आदि शामिल हैं।
ये पौधे भारतीय चिकित्सा प्रणालियों (आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा) और होम्योपैथी में दवाओं के निर्माण का मुख्य आधार बनाते हैं। ये पौधे देश के विभिन्न भागों में विभिन्न पर्यावरणीय और जलवायु परिस्थितियों में पाए जाते हैं।
वन क्षेत्रों में जंगली रूप से उगने वाले पौधों को लघु वनोपज के रूप में वर्गीकृत किया गया है और ये देश की पारंपरिक औषधि उद्योग के लिए कच्चे माल का एक बड़ा हिस्सा प्रदान करते हैं।
औषधीय पौधों की खेती भारत में कई स्थानों पर की जाती है इस लेख में हम आपको औषधीय पौधों की खेती के महत्व के बारे में जानकारी देंगे।
1. भारत उन कुछ देशों में से एक है जहां लगभग सभी ज्ञात औषधीय पौधों की खेती देश के किसी न किसी भाग में की जा सकती है।
उन पौधों में जिनकी देश और विदेश में बहुत मांग है, अफीम, ट्रोपेन ऐल्कलॉइड युक्त पौधे, सैपोजेनिन युक्त याम (जिमीकंद), सना, इसबगोल की भूसी और बीज, तथा सिनकोना शामिल हैं।
2. प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति (ISM) मुख्यतः पौधों पर आधारित है और हमारे देश के अधिकांश देशज पौधों का उपयोग करती है।
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यह मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग पूरी आबादी को चिकित्सा सेवा प्रदान करती है, क्योंकि गांवों में आधुनिक ऐलोपैथिक स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी है।
3. ISM कई बीमारियों जैसे पीलिया, दमा, गठिया, मधुमेह आदि के लिए उपयुक्त या प्रथम पंक्ति की चिकित्सा पद्धति है, जिनके लिए ऐलोपैथिक चिकित्सा में अभी तक कोई निश्चित इलाज नहीं है। यह भी सर्वविदित है कि अधिकांश ऐलोपैथिक दवाओं के कई दुष्प्रभाव होते हैं।
इसी कारण से पश्चिमी समाजों में जैविक (ऑर्गेनिक) दवाओं और उनके उत्पादों के प्रति रुचि और झुकाव लगातार बढ़ रहा है।
4. भारत में लगभग 2,000 प्रजातियों के औषधीय पौधे पाए जाते हैं और इसके पास उच्च उत्पादन क्षमता वाला विशाल भौगोलिक क्षेत्र और विविध कृषि-जलवायु स्थितियाँ हैं।
इनमें से अधिकांश पौधे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं और इस प्रकार वर्षा आधारित खेती के लिए उपयुक्त हैं। औषधीय पौधों की खेती ग्रामीण रोजगार और विदेशी मुद्रा अर्जन के लिए व्यापक संभावनाएं प्रदान करती है।
5. भारत पहले से ही औषधीय पौधों का एक प्रमुख निर्यातक है। अनुमान है कि भारत से लगभग 86 करोड़ रुपये मूल्य के औषधीय पौधों और उनके कच्चे माल का निर्यात किया जाता है।
भारत इसबगोल और सना के उत्पादन और निर्यात में एकाधिकार रखता है और अफीम लेटेक्स के निर्यात में दूसरा सबसे बड़ा देश है।
6. व्यापार के लिए आवश्यक कई औषधीय पौधे मुख्यतः जंगलों से संग्रहित किए जाते हैं जिससे इनकी वनस्पति संपदा में भारी क्षति हो रही है (जैसे: राउवोल्फिया, डायोस्कोरिया)।
इस प्रथा के कारण हमारे देश में कई औषधीय पौधों की प्रजातियाँ विलुप्त या संकटग्रस्त हो गई हैं। इसे रोका जाना चाहिए और महत्वपूर्ण औषधीय पौधों के संरक्षण हेतु हर्बल गार्डन और जीन-बैंक की स्थापना की जानी चाहिए।