भारत में कितने प्रकार के मोटे अनाजों की खेती की जाती हैं ?
By : Tractorbird Published on : 24-May-2025
प्राचीन काल से ही मोटे अनाजों का विवरण भारत के ग्रंथो में मिलता हैं। पुराने समय में हमारे पूर्वज मोटे अनाज का सेवन करते आए हैं। पहले गेहूं का उत्पादन बहुत कम किया जाता था इसलिए गेहूं के साथ पर मोटे अनाज की रोटी का ही सेवन किया जाता था।
मोटे अनाज की खेती करनी भी आसान हैं इनकी खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। मोटे अनाज के उत्पादन में अधिक खाद और उर्वरक की भी आवश्यकता नई होती हैं।
मोटा अनाज मृदा के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा होता हैं ये भूमि से अधिक पोषक तत्व ग्रहण नई करते। इसलिए इनकी खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकता हैं।
आइये हमरे इस लेख के मध्य से जानते हैं कि भारत कितने प्रकार के मोटे अनाज उगाए जाते हैं, और इनके क्या फायदे हैं।
भारत में उगाए जाने वाले मोटे अनाजों के नाम
भारत एक कृषि प्रदान देश हैं यहाँ कई प्रकार के मोटे अनाज उगाए जाते हैं जिनके नाम निम्नलिखित दिए गए हैं -
बाजरा
ज्वार
रागी (मडुवा)
कोदो
कुटकी
कंगनी
सांवा
चीना
भारत में उगाए जाने वाले मोटे अनाज और इनके फायदे
हमारे देश में कई प्रकार के मोटे अनाज उगाए जाते हैं। इनसे किसानों को तो फयदा होता ही हैं साथ ही इनके सेवन करने के भी बहुत अच्छे फायदे हैं। आइये इनके फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बाजरा
- बाजरे कि खेती भारत के कम पानी वाले इलाकों में खरीफ के मौसम में कि जाती हैं, बाजरा सूखे क्षेरों का प्रमुख आहार हैं।
- बाजरे की खेती राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र में की जाती हैं।
- बाजरे में फाइबर, प्रोटीन, मैग्नीशियम, जिंक और आयरन जैसे कई खनिज तत्व पाए जाते हैं जो स्वस्थे के लिए काफी लाभकारी होते हैं।
- बाजरे के सेवन से कई स्वस्थ लाभ होते हैं, बाजरा के सेवन से ब्लड प्रेशर कण्ट्रोल रहता हैं और कोलेस्ट्रॉल भी कण्ट्रोल में रहता हैं।
- बसहु चारे के लिए भी बारे का उपयोग किया जाता हैं।
ज्वार
- ज्वार की खेती अनाज के साथ साथ हरे चारे के लिए भी की जाती हैं। दूसरे अनाज की तुलना में ज्वार में थोड़ी मिठास होती हैं।
- ज्वार की खेती महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्णाटक में आज के लिए की जाती हैं और पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चारे के लिए की जाती हैं।
- ज्वार में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट,आयरन और फाइबर पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं।
- यह शरीर में सूजन के स्तर को नियंत्रित करता है और सीलिएक रोग या ग्लूटेन असहिष्णुता वाले लोगों के लिए उपयुक्त है।
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रागी
- रागी की खेती भारत में ज्यादातर दक्षिण के राज्यों में ही की जाती हैं, कर्णाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में इसकी खेती होती हैं।
- रागी में प्रोटीन और विटामिन डी के साथ-साथ कैल्शियम, आयरन और फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है।
- रागी के सेवन से हड्डियों और मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता हैं साथ ही रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
कोदो
- कोदो की खेती वर्षा आधरित स्थानों पर की जाती हैं खरीफ के मौसम में मानसून की बारिश के साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर इसकी बुवाई की जाती हैं।
- रागी में अधिकांशत फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स तथा कुछ प्रतिशत प्रोटीन होता है जो चयापचय बढ़ाने और ऊर्जा प्राप्त करने में सहायक होता है।
- कोदो के सेवन से मधुमेह, मोटापा, गठिया, अस्थमा और कब्ज से भी राहत मिलती है।
कुटकी
- भारत के दक्षिणी राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और ओडिशा कुटकी की खेती के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय हैं।
- कुटकी अत्यधिक पौष्टिक आहार हैं इसमें फाइबर के साथ-साथ मैग्नीशियम, पोटेशियम और जिंक भी होता है।
- कुटकी पचने में आसान होता है और पाचन में सुधार करने में मदद करता है साथ ही रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता हैं।
कंगनी
- कंगनी की खेती भारत में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अधिक की जाती हैं।
- कंगनी में बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फ़ायदेमंद होते हैं, कंगनी में
- कार्बोहाइड्रेट्स, विटामिन बी, नियासिन और थायमिन जैसे पोषक तत्व होते हैं।
- कंगनी के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता अछि होती हैं, कंगनी कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ-साथ पाचन को सही रखने में सहायक होते हैं।
सांवा
- सांवा की खेती ज्यादतर भारत के पहाड़ी इलाकों जैसी की हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों जहां वर्षा कम होती हैं वहा की जाती हैं।
- सांवा में फाइबर, कैल्शियम, आयरन और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
चीना
- चीना की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों में की जाती है साथ ही चीना तेजी से बढ़ने वाला मोटा अनाज हैं।
- इसमें प्रोटीन और अमीनो एसिड के साथ-साथ कुछ फाइबर सामग्री भी होती है और इसमें कार्बोहाइड्रेट भी कम होता है।
- यह कोलेस्ट्रॉल और वजन को नियंत्रित करने और मजबूत दिल को बढ़ावा देने में मदद करता है।