अर्जुन का पेड़ , फायदे व नुकसान, अर्जुन की छाल के फ़ायदे
By : Tractorbird News Published on : 14-Feb-2025
अर्जुन का पेड़ एक बहुत लाभदायक पेड़ है। अर्जुन के पेड़ की चर्चा हिंदू पौराणिक कथाओं में भी की गयी हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष की उत्पत्ति तब हुई जब भगवान इंद्र ने वृत्र नामक राक्षस का वध किया था। इसे मुख्य रूप से बगीचों और जंगलों में उगाया जाता है।
आज के इस लेख में हम आपको अर्जुन का पेड़, इसके फायदे व नुकसान और अर्जुन की छाल के फ़ायदे के बारे में जानकरी देंगे।
अर्जुन पेड़ क्या है?
- अर्जुन पेड़ का नाम इसके सफेद और स्वच्छ रंग के आधार पर रखा गया है।
- संस्कृत में अर्जुन का अर्थ होता है "सफेद" और "स्वच्छ", और इस नाम का पांडवों के अर्जुन से कोई विशेष संबंध नहीं है।
- हालांकि, इस पेड़ को कुछ संस्कृत नामों जैसे "पार्थ" और "धनंजय" से संबोधित किया गया है, जो केवल चिकित्सा काव्य में अर्जुन शब्द के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए दिए गए हैं, और उनका कोई गहरा संदर्भ नहीं है।
अर्जुन की छाल के फ़ायदे
अर्जुन पेड़ का प्रभाव शीतल होता है और यह हृदय के लिए लाभकारी है। यह कसैला होता है और छोटे-मोटे कटने-छिलने पर, विष, रक्त संबंधी रोग, मोटापा, डायबिटीज, अल्सर, कफ और पित्त को कम करने में मदद करता है।
अर्जुन हृदय की मांसपेशियों को बल देता है और हृदय की पोषण क्रिया को बेहतर बनाता है। अर्जुन के फायदे निम्नलिखित दिए गए हैं -
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हृदय रोगों से इज़ाद
- जब हृदय की सामान्य धड़कन 72 से बढ़कर 150 या उससे अधिक हो जाती है, तो एक गिलास टमाटर के रस में 1 चम्मच अर्जुन की छाल का चूर्ण मिलाकर नियमित रूप से सेवन करने से जल्दी ही लाभ मिलता है।
- अर्जुन छाल के 1 चम्मच महीन चूर्ण को मलाई रहित 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम लगातार सेवन करने से हृदय के सभी रोगों में लाभ होता है, हृदय को मजबूती मिलती है और कमजोरी दूर होती है।
- इससे हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य हो जाती है।
- 50 ग्राम गेहूँ के आटे को 20 ग्राम गाय के घी में भूनें, जब यह गुलाबी हो जाए, तब 3 ग्राम अर्जुन छाल का चूर्ण, 40 ग्राम मिश्री और 100 मिली खौलता हुआ पानी डालकर पकाएं। जब हलवा तैयार हो जाए, तब इसे सुबह सेवन करें।
पेट रोगों के इलाज में लाभकारी
- अर्जुन की छाल एसिडिटी से राहत पाने में भी बहुत फायदेमंद है। इसके लाभों को पूरी तरह से प्राप्त करने के लिए यह जानना जरूरी है कि अर्जुन की छाल का सही तरीके से प्रयोग कैसे किया जाए।
- 10-20 मिली अर्जुन छाल के काढ़े का नियमित सेवन करने से पेट में गैस की समस्या और उदावर्त्त (upward movement of gas) से राहत मिलती है, और इससे एसिडिटी की परेशानी भी कम होती है।
डायबिटीज से राहत
- अर्जुन की छाल, नीम की छाल, आमलकी छाल, हल्दी और नीलकमल की समान मात्रा में चूर्ण को पानी में उबालकर शेष काढ़ा बना लें।
- इस काढ़े को 10-20 मिली मात्रा में बचाकर, उसमें मधु मिलाकर रोज़ सुबह सेवन करने से पित्तज-प्रमेह (पित्त के कारण होने वाले रोग और मूत्र विकार) में लाभ होता है।
हड्डी रोगों और जोड़ो के दर्द में लाभकारी
- अर्जुन की छाल का चूर्ण एक चम्मच दिन में तीन बार एक कप दूध के साथ कुछ हफ्तों तक सेवन करने से हड्डियां मजबूत हो जाती हैं।
- यदि हड्डी टूट जाए, तो अर्जुन की छाल को घी में पीसकर घाव पर लेप करके पट्टी बाँधने से हड्डी जल्दी जुड़ जाती है।
- अर्जुन की छाल से तैयार 20-40 मिली क्षीरपाक में 5 ग्राम घी और मिश्री मिलाकर पीने से हड्डी के टूटने पर लाभ मिलता है।
- अर्जुन की छाल और लाक्षा को समान मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें।
- 2-4 ग्राम चूर्ण में गुग्गुलु और घी मिलाकर सेवन करने से और भोजन में घी और दूध का उपयोग करने से हड्डी का शीघ्र जुड़ाव होता है।