डॉ हरी शंकर गौड़ जो की एक जाने माने कृषि वैज्ञानिक है। इन्होंने अपना जीवन कृषि क्षेत्र और किसानों के सुधार में ही व्यतीत किया है। डॉ हरी शंकर गौड़ जी ने कृषि क्षेत्र में 1976 में प्रवेश किया था। इन्होंने 1976 में पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्लांट पैथोलोजिस्ट के रूप में कार्य आरंभ किया। डॉ हरी शंकर गौड़ जी ने लाखों विधार्थियों को कृषि विज्ञान की बारीकियां सिखाई है।
डॉ हरी शंकर गौड़ जी ने अपने जीवन के 44 सालों में कई एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज में एग्रीकल्चर अध्यापक, डीन और वाईस चांसलर के रूप में कार्य किया है। ये मुख्य रूप से नेमाटोड विज्ञानं के वैज्ञानिक है। इनको फसलों के रोगों और नेमाटोड्स का गहरा ज्ञान है।
इन्होंने 4 साल तक ICAR IARI संस्थान में नेमटोलॉजी डिवीज़न के हेड के रूप में भी कार्य किया है। आपने जीवन में इन्होंने अहम् उपलिब्धिया प्राप्त की है। सरदार वल्लभभाई पटेल यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर & टेक्नोलॉजी जो की एग्रीकल्चर की जानी मानी यूनिवर्सिटी है वहां ये वाईस चांसलर के रूप में भी कार्यरत रह चुके हैं। वर्तमान समय में ये गलगोटिया यूनिवर्सिटी में कार्यरत है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम के तहत बीमा सलाहकार समिति पुनर्गठन किया है। इस समिति में अलग-अलग विभागों के कुल 18 सदस्यो को चुना गया है। डॉ हरी शंकर गौड़ जी को भी बीमा सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में चुना गया है। क्योंकि डॉ हरी शंकर गौड़ जी को कृषि क्षेत्र और किसानों की स्थिति का गहन ज्ञान है। बीमा सलाहकार समिति में डॉ हरी शंकर गौड़ जी की उपस्थिति से किसानों को भी लाभ होगा।