जई की खेती (oats cultivation) की उन्नत तकनीक के बारे में जानिए यहां

By : Tractorbird News Published on : 21-Nov-2024
जई

जई (oats) एक ठंडे मौसम की फसल है। जई का मुख्य उपयोग खाद्य पदार्थों और चारा फसल के रूप में किया जाता है। इसे अनाज की फसल के रूप में भी उगाया जाता है। 

जई की खेती के लिए पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था होना बहुत महत्वपूर्ण है। जई की खेती का पूरा विवरण इस लेख में दिया जाएगा।

जई की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी की स्थिति

  • जई एक रबी की फसल है, जिसकी खेती ठंडी जलवायु में की जाती है। इसे उगाने के लिए 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त होता है। 
  • जई ठंड सहन करने वाली फसल है और पाले व अधिक ठंड का प्रभाव नहीं झेलती। 
  • यह जल-जमाव वाली मिट्टी को छोड़कर लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाई जा सकती है। 
  • बेहतर उत्पादन के लिए इसे अच्छी जल निकासी वाली दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी में उगाना चाहिए।

जई की बुवाई के लिए भूमि की तैयारी

जई की बुवाई से पहले खेत की मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी है। इसके लिए खेत की दो से तीन बार जुताई करें। 

जुताई के लिए हर्रो या कल्टीवेटर का उपयोग किया जा सकता है, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो जाए और बुवाई में आसानी हो।

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जई की उन्नत किस्में

बेहतर उपज के लिए जई की उन्नत किस्में लगानी चाहिए। इनमें प्रमुख किस्में हैं:

- केंट

- यूपीयू-212

- वेस्टन II

- एफएसओ-29

- जेएचओ-851

- ओएस-6

- यूपीओ-94

- ईसी-1185

- आईजीएफआरआई-3021

- रडार

- अल्जीरियाई

- ईसी-54807

- फ्लेमिंग्स गोल्ड

- एफसी-13594

- वाहर जई-1, जई-2, और जई-03-91

जई का बीज और बुवाई का समय

  • उत्तर-पश्चिमी से पूर्वी क्षेत्रों में जई की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के अंत तक करनी चाहिए। 
  • यदि चारे की आपूर्ति मार्च तक जारी रखनी हो, तो लेट बुवाई भी की जा सकती है। 
  • चारे के लिए 100 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और अनाज के लिए 80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।

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 जई की फसल में खाद और उर्वरक प्रबंधन

  • अंतिम जुताई के समय खेत में 10 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद मिलानी चाहिए।
  • नाइट्रोजन 80 किलोग्राम, सल्फर 40 किलोग्राम और पोटाश 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से डालें।
  • नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा और सल्फर तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय दें।

जई की फसल में सिंचाई प्रबंधन

  • बुवाई से पहले खेत में सिंचाई करें और फसल के लिए कुल 4-5 सिंचाई करें। 
  • यदि फसल को चारे के लिए उगाया गया हो, तो हर कटाई के बाद सिंचाई करनी चाहिए। 
  • सामान्यत: 20-25 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जानी चाहिए।

जई की कटाई और उपज

  • एक कट किस्में: 50% फूल आने पर कटाई करें।
  • दो कट वाली किस्में: पहली कटाई 60 दिन पर और दूसरी कटाई 50% फूल आने पर करें।
  • मल्टीकट किस्में: पहली कटाई 60 दिन पर, दूसरी कटाई 45 दिन बाद, और तीसरी कटाई 50% फूल आने पर करें।
  • उपज: जई से 400-500 क्विंटल/हेक्टेयर हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है।

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