मौसम विभाग ने न्यूनतम तापमान घटने के चलते पाला पड़ने को लेकर अलर्ट जारी किया है। पश्चिमी विक्षोभ लगातार रात का तापमान कम कर रहा है। पाला के चलते हुए फसलों को भी काफी नुकसान होता है। पाला ने आलू, मिर्च, टमाटर और बैगन की सब्जियों पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है।
पपीता और केले के पौधे को भी फलों में नुकसान होने की संभावना है। साइबेरियन वेव का प्रभाव कम हुआ है, जो चलते बर्फीली हवाओं की गति को प्रभावित करता है।
इसके विपरीत, कई जिलों में रात का तापमान 5 डिग्री से भी कम जा रहा है। मौसम विभाग ने भी न्यूनतम तापमान घटने के चलते पाला पड़ने को लेकर अलर्ट जारी किया है। पश्चिमी विक्षोभ लगातार रात का तापमान कम कर रहा है।
कानपुर में सबसे कम तापमान 3 डिग्री सेल्सियस था। मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि न्यूनतम तापमान में गिरावट के चलते पाला पड़ सकता है। रात में घना कोहरा भी लोगों को परेशान करता है, क्योंकि बहुत कम दृश्यता होती है।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि कई फसलों पर पाला पड़ने से बुरा असर पड़ेगा। चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम तकनीकी अधिकारी अजय मिश्रा ने कहा कि पाला पड़ने की संभावना 5 डिग्री से कम होती है। उनका कहना था कि मध्य कड़ाके की ठंड और शीतलहर अगले 24 से 48 घंटे तक जारी रहेगी।
उत्तर प्रदेश में शीतलहर के दौरान वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प बाहर निकलता है। ऐसे में पाला पड़ने से पौधे पर बर्फ की चादर बन जाती है। पाले का प्रभाव पौधों की कोशिकाओं और ऊतकों में मौजूद पानी को बर्फ में बदल देता है, इससे आयतन बढ़ता है। ऐसी स्थिति में पौधों की कोशिकाएं, नलिकाएं और ऊतक फट जाती हैं और पौधा इससे मर जाता है।
रबी सीजन के दौरान खेतों में आलू, गेहूं, चना, सरसों और मटर का उत्पादन बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में आज भी शीत लहर है। पाला चलते हुए फसलों को भी काफी नुकसान होता है।
पाला ने आलू, मिर्च, टमाटर और बैगन की सब्जियों पर सबसे अधिक प्रभाव डाला है। वही पपीता और केले के पौधे को फलों में भी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, सौफ, धनिया, मटर, चना, अलसी, जीरा और धनिया की फसलों को भी नुकसान हो सकता है।
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पाला से फसलों को कैसे बचाएं ?
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दयाशंकर श्रीवास्तव ने बताया कि किसान पाला से फसलों को बचाने के लिए कई तरीके अपना सकते हैं। किसानों को अपने खेतों के किनारे उत्तरी पश्चिमी ठंडी हवा से आने वाली कूड़ा-कचरा या बेकार घास फूस जलाना चाहिए ताकि खेत में धुआं हो जाए। इससे खेत का वातावरण गर्म रहता है। इससे पाले की मार फसलों पर कम होगी।
उन्होंने बताया कि नर्सरी के पौधों को पाला से बचाने के लिए पॉलिथीन या भूसे से ढ़क देना चाहिए, जिससे भूमि का तापमान कम नहीं होगा। पाला फसलों पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा। टाटी को नर्सरी, किचन गार्डन में उत्तरी पश्चिमी दिशा में बांधकर क्यारी के किनारे पर लगाना चाहिए; इसे दिन में हटा दें।
किसानों को पाला पड़ने की संभावना देखते ही फसलों पर 0.1% गंधक घोल छिड़काव करना चाहिए ताकि पाले का प्रभाव कम हो। इसके लिए किसानों को 1000 लीटर पानी में 1 लीटर गंधक का तेजाब मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में स्प्रे करना चाहिए।
15 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव कर सकते हैं अगर पाला पढ़ने की संभावना बनी रहती है। गंधक के छिड़काव से गेहूं, मटर, सरसों, चना और अन्य फसलों को विशेष लाभ मिलेगा। लोह तत्वों की जैविक और रासायनिक सक्रियता भी बढ़ती है, जिससे पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। गंधक फसल को जल्दी भी पकाने में मदद करता है।