किसान भाइयों आपकी जानकारी के लिए बता दे, पंजाब सरकार ने निर्णय लिया है कि उन सभी किसानों को मुआवज़ा दिया जाएगा जिनकी धान की फसल जुलाई में फ्लैश फ्लड में क्षतिग्रस्त हो गई। "द ट्रिब्यून" की एक खबर के अनुसार, किसानों को इस क्षति के लिए प्रति एकड़ 6,800 रुपये मिलेंगे।
भारत सरकार ने किसानों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष और राष्ट्रीय आपदा कोष से जो भी मदद दी है, उसमें फसल के अंकुर के नष्ट होने पर मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है। पंजाब के राजस्व मंत्री ब्रह्म शंकर जिम्पा ने 'द ट्रिब्यून' को बताया कि यह पहली बार है कि सरकार ने नई फसल के नुकसान को किसानों का नुकसान बताया है।
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पंजाब सरकार ने पिछले महीने आपदा प्रतिक्रिया कोष से सभी किसानों को दोहरा मुआवज़ा देने की मांग की, क्योंकि केंद्र से एक अंतर मंत्रालयी टीम पिछले महीने पंजाब में बारिश से हुई क्षति का आकलन करने के लिए आई थी। लेकिन सूत्रों से पता लगा कि मुआवजे की अनुमति नहीं दी गई है, इसलिए राज्य सरकार सिर्फ निर्धारित नियमों के तहत मुआवज़ा दे रही है।
राहत वितरण भी जालंधर, लुधियाना, मोगा, मोहाली, पटियाला, पठानकोट, रोपड़ और संगरूर जिलों में शुरू हो गया है। फ्लैश फ्लड से प्रभावित ज़िलों को जुलाई में 103 करोड़ रुपये का मुआवज़ा दिया गया है, जबकि अगस्त में 86 करोड़ रुपये इसी उद्देश्य से दिए गए थे। बहुत से गांव अभी भी पानी में डूबे हुए हैं, इसलिए पूरी क्षति का आकलन नहीं किया जा सका है।
सात जुलाई से बारह जुलाई तक हुई अचानक फ्लैश फ्लड ने लगभग 6.25 लाख एकड़ में लगी धान की नई फसल को जलमग्न कर दिया, जिससे 2.75 लाख एकड़ में धान की दोबारा रोपाई करनी पड़ी।
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हालाँकि, क्षतिग्रस्त गेंहू की फसल को कोई राहत नहीं दी गई है। मार्च में रबी के मौसम में हुई ओलावृष्टि ने सैकड़ों एकड़ गेंहू की तैयार फसल को बर्बाद कर दिया।
उस समय सरकार ने आपदा प्रतिक्रिया कोष से मदद करने का वादा किया था, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली है। सूत्रों ने बताया कि राज्य की एग्ज़ीक्यूटिव समिति ने मुआवजे की मांग को खारिज कर दिया क्योंकि गेहूं की फसल बहुत बड़ी थी। इसका अर्थ है कि किसानों को बहुत अधिक क्षति नहीं हुई है।