जीरो टिलेज तकनीक से करें गेहूं की बुवाई, होगी पैसों की बचत
By : Tractorbird News Published on : 28-Oct-2024
रबी का मौसम शुरू हो चुका है, और कई राज्यों में गेहूं की बुवाई भी शुरू हो गई है। इस लेख में हम गेहूं की बुवाई की एक विशेष विधि, जीरो टिलेज तकनीक के बारे में बताएंगे।
इस तकनीक से प्रति एकड़ 1500 रुपये की बचत होती है। कृषि विभाग गेहूं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए इस तकनीक को बढ़ावा दे रहा है।
इस तकनीक से बीज की खपत कम होती है, और समय और पैसे की बचत भी होती है।
जीरो टिलेज क्या है?
- जीरो टिलेज सीड ड्रिल का उपयोग करके किसान बिना जुताई के ही सीधे बुवाई कर सकते हैं। इस विधि में पिछली फसल की कटाई के बाद उसके अवशेषों को हटाए बिना बीज बोए जाते हैं।
- इसलिए इसे सीधी बुवाई या जीरो टिलेज तकनीक कहा जाता है।
- वैज्ञानिक सुभाष रावत के अनुसार, इस तकनीक से बीज और खाद दोनों की बुवाई एक साथ की जा सकती है, जिससे समय की बचत होती है और फसल की उत्पादकता बढ़ती है।
बुवाई के कितने दिन बाद करे सिंचाई ?
- जीरो टिलेज से बुवाई के बाद पहली सिंचाई 15 से 20 दिन के भीतर करें। यदि खेत में नमी पहले से हो, तो सामान्य प्रक्रिया के अनुसार सिंचाई करें।
- इस तकनीक का उपयोग कर किसान भूमि की उर्वरता बढ़ा रहे हैं।
खेत में नमी आवश्यक है
- बुवाई करते समय खेत में उचित नमी का होना आवश्यक है।
- धान की फसल की कटाई से पहले सिंचाई करके उचित नमी बनाए रखें ताकि गेहूं की बुवाई अच्छी तरह से हो सके।
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सरकार की तरफ से मिलता है अनुदान
एससी-एसटी किसानों को 50% और सामान्य वर्ग के किसानों को 40% अनुदान मिलता है। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त 10,000 रुपये का टॉपअप भी दिया जा रहा है।
जीरो टिलेज तकनीक से बुवाई के फायदे
- - पारंपरिक विधि की तुलना में जुताई पर 1500-2000 रुपये प्रति एकड़ की बचत होती है।
- - गेहूं की बुवाई के समय में 20-25 दिनों का लाभ मिलता है।
- - बीज की गहराई 3-5 सेमी होने से अच्छे अंकुरण के लिए सही वातावरण मिलता है।
- - खाद सीधे पौधों को पोषण देती है और पानी की 10-15% तक की बचत होती है।
उपयुक्त मशीन का चयन करें
- जीरो टिल ड्रिल मशीन में 18-20 सेमी की दूरी पर 9 से 11 फल लगे होते हैं, जो ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलाए जाते हैं।
- इससे एक घंटे में एक एकड़ खेत की बुवाई संभव है।
- जिन क्षेत्रों में कंबाइन से धान की कटाई होती है, वहां हैप्पी सीडर का उपयोग किया जा सकता है, जो गेहूं के दानों को गहराई में पहुंचाने में सक्षम है।
बीजोपचार से बीमारियों से सुरक्षा
- गेहूं को दीमक और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक, फफूंदनाशक और जैविक खाद से बीजों का उपचार करें।
- प्रति किग्रा बीज में 2 ग्राम बाविस्टीन या वीटावैक्स मिलाएं। दीमक से बचाव के लिए प्रति क्विंटल बीज में 150 मिली क्लोरपाइरीफोस मिलाएं।
सावधानियां
धान की कटाई के समय फसल के फनों को ज्यादा बड़ा न होने दें। बुवाई से पहले बीज और खाद की पूरी मात्रा खेत में डाल दें।
मशीन की नलियां बंद तो नहीं, यह सुनिश्चित करने के लिए पीछे चलकर निगरानी करें।