गेहूं की ये वैरायटी देती हैं बंपर पैदावार, जानें इन किस्मों की डिटेल्स के बारे में

By : Tractorbird News Published on : 31-Oct-2023
गेहूं

किसान भाइयों जैसा की आप जाते हैं कि खरीफ की धान की फसल की कटाई चल रही है। इसके बाद गेहूं की बुवाई शुरू हो जाएगी। किसान भाइयों गेहूं की अधिक पैदावार पाने के लिए आपको उन्नत किस्मों का चयन करना होगा जिससे की आपको अधिक मुनाफा होगा।

उन्नत गेहूं के बीज से किसान निस्संदेह फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार कर सकते हैं। लेकिन, बंपर उत्पादन के लिए किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाले गेहूं की जरूरत है। ऐसे में आइए जानते हैं गेहूं की उन किस्मों के बारे में जो प्रति हेक्टेयर 90 से 97 क्विंटल तक उपज दे सकती हैं। इस लेख में आप इन उन्नत किस्मों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

गेहूं की किस्म करण वंदना (Karan Vandana) 

गेहूं की करण वंदना किस्म को DBW 187 के नाम से भी जाना जाता है। इस किस्म को ICAR-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है। इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 96.6 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

इस किस्म के गेहूं में पीला रतुआ और ब्लास्ट जैसी बीमारियों की संभावना बहुत कम होती है। यह किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू के किसानों के लिए बेहतर है। करण वंदना किस्म की फसल 148 दिन में तैयार हो जाती है। ब्रैड बनाने में इसका परिणाम बेहतर आया है।

गेहूं की किस्म करण श्रिया (Karan Shriya)

गेहूं की उन्नत किस्मों में करण श्रिया का नाम भी शामिल है. इस किस्म को DBW 252 कहा जाता है. इस किस्म को जून 2021 में किसानों के लिए लॉन्च किया गया था. जिसे ICAR-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. करण श्रिया किस्म को एक सिंचाई की आवश्यकता होती है. इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 55 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. करण श्रिया किस्म 127 दिन में तैयार हो जाती है. यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड तथा उत्तर-पूर्व के तराई क्षेत्रों के किसानों के लिए उपयोगी है.

गेहूं की किस्म करण नरेन्द्र (Karan Narendra)

गेहूं की अद्भुत किस्मों में करण नरेंद्र भी शामिल हैं. इसे DBW-222 भी कहा जाता है. इस किस्म को भी आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म एक हेक्टेयर में लगभग 82.1 क्विंटल उत्पादन देती है. इसे रोटी, ब्रेड और बिस्किट बनाने के लिए कारगर माना जाता है. इसकी बुआई अगेती की जा सकती है. यह किस्म 143 दिन में तैयार हो जाती है.

यह किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू के किसानों के लिए बेहतर मानी गई है.






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