खरबूजा एक ककड़ी वर्गीय कुल का सदस्य है। भारत में इसकी खेती बड़े पमाने पर की जाती है। मुख्य रूप से इसकी खेती शुष्क मौसम में की जाती है यानि की जायद के मौसम में इसकी खेती की जाती है।
देश के उत्तरी राज्य जैसे की पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं बिहार के शुष्क व् अर्ध शुष्क क्षेत्रों में इसकी खेती बड़े पमाने पर होती है।
इस फल का स्वाद थोड़ा मीठा होता है इसलिए इसके फल का सेवन सीधे किया जाता है। इसके फलों में भारी मात्रा में कार्बोहायड्रेट, विटामिन ए और सी पाए जाते है।
इसके बीज में 40 से 45 % तक तेल पाया जाता है। औषधीय उपयोग की दृष्टि से भी खरबूजा का बहुत महत्व माना जाता है।
इस लेख में आज हम आपको इसकी खेती से संबंधी सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे जिससे की आप भी इसकी खेती करके अच्छा मुनाफ कमा सकें।
खरबूजा एक शुष्क जलवायु को पसंद करने वाला पौधा है। इसकी खेती भारत के शुष्क अथवा अर्ध शुष्क क्षेत्रों में की जाती है इसकी खेती मुख्य रूप से जायद के मौसम में की जाती है।
वैसे तो खरबूजे की खेती अनेक प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है परन्तु इसकी खेती से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए इसकी बुवाई बालुई दोमट मिट्टी में की जानी चाहिए।
इसकी खेती के लिए मिट्टी में उचित जल निकास की व्यवस्था होना बहुत आवश्यक माना जाता है इसकी फसल ज्यादा नमी को पसंद नहीं करती है। अधिक नमी होने के कारण इसके पौधे पिले हो जाते है। खेती की मिट्टी का ph मान 6-7 होना चाहिए।
खरबूजे के बीजों की बुवाई से पहले खेत को अच्छी प्रकार से तैयारी कर लेनी चाहिए जिससे की बीजों की अच्छी वृद्धि हो सकें।
बीजों की बुवाई से पहले खेत को 2-3 बार हैरो या कल्टीवेटर की मदद से समतल कर लेना चाहिए। आखरी जुताई से पहले खेत में 4-5 टन गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला देना चाहिए।
उत्तरी भारत में खरबूजे की बुवाई फरवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च तक की जाती है। इसको जायद का मौसम भी बोला जाता है।
खरबूजे की बुवाई के लिए 600 से 800 ग्राम बीज प्रति अकड़ की दर से इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जिससे की अच्छे पौधे प्राप्त किए जा सके।
बुवाई करने से पहले खेत में उचित नमी की जांच कर लेना बहुत आवश्यक होता है। इसकी बुवाई खेत में अच्छी तरह से क्यारियों में की जानी चाहिए। इन क्यारियों की दुरी 0.5 -1 मीटर रखनी चाहिए।