5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य मिट्टी के महत्व को समझाना है। मिट्टी की खराब स्थिति के कारण विश्व भर में मिट्टी का तेजी से कटाव हो रहा है, जो एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या बन गया है। ‘मिट्टी बचाओ आंदोलन’ लगभग 45 वर्ष पहले भारत में शुरू हुआ था। इसका लक्ष्य जनता को मृदा संरक्षण और टिकाऊ प्रबंधन की ओर प्रेरित करना है। इसके आलावा मिट्टी की स्थिति में गिरावट - एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या, के बारे में लोगों को जागरूक करना है।
यह वार्षिक कार्यक्रम मिट्टी, जानवरों, मनुष्यों और पौधों के बीच जटिल संबंधों को स्मरण करता है। इस अमूल्य सामग्री को बचाने और संरक्षित करने की जरूरत पर बल देता है। विश्व मृदा दिवस हर साल एक थीम पर मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है: "मिट्टी और पानी, जीवन का एक स्रोत..।"
विश्व मृदा दिवस का उद्देश्य लोगों को मृदा संरक्षण के बारे में जागरूक करना है। दरअसल, मिट्टी सभी स्थलीय जीवों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मिट्टी की क्षरण कार्बनिक पदार्थों को नष्ट करती है। वहीं मिट्टी की उर्वरता भी कम होती है। इस वर्ष इसकी थीम मृदा प्रबंधन में बढ़ती चुनौतियों का समाधान करना, मृदा लवणता को दूर करना और लोगों को मृदा के बारे में अधिक जानकारी देना है।
दिसंबर 2013 से मिट्टी के लिए विश्वव्यापी उत्सव शुरू हुआ। 5 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में विश्व मृदा दिवस घोषित करने का निर्णय लिया। इसके लिए भी कानून पारित किया गया था। 2002 से ही इस दिन को मनाने की सिफारिश की गई थी। जब अंतरराष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ ने 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस घोषित किया। 2013 में इस दिन को सर्वसम्मति से आधिकारिक तौर पर मनाया गया। 5 दिसंबर 2014 को एक साल बाद पहली बार पूरे विश्व में मृदा दिवस मनाया गया।