जीरा उन मसललों में आता है जिसका प्रयोग भारत के हर घर में होता है। जीरा एक मसाला है जिसके कई उपयोग हैं, जीरे को भूनकर छाछ, दही, लस्सी और अन्य सामग्री मिलाकर खाया जाता है। इससे टेस्ट बहुत बढ़ जाता है। जीरे से स्वाद बढ़ता है और यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। जीरा पैसे भी लाता है। जीरे की खेती करना काफी लाभदायक है क्योंकि इसका प्रति किलोग्राम 200 रुपये से भी अधिक मूल्य आपको मिलता है।
जीरा बोने से पहले खरपतवार निकाल देना चाहिए
जीरे की खेती के लिए दोमट और हल्की मिट्टी अच्छी है ,जीरे की खेती इस तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। खेत की सर्वश्रेष्ठ तैयारी बुआई से पहले आवश्यक है। खेत में जीरा बोने से पहले खरपतवारों को बाहर निकालकर साफ करना चाहिए।
जीरे की आर जेड-19 किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। आर जेड- 209 किस्म 120-125 दिन में पककर तैयार हो जाती है। जी सी - 4 किस्म 105-110 दिन में पककर तैयार हो जाती है और वहीं आर जेड- 223 किस्म 110-115 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इन किस्मों की औसत उपज 510 से 530 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है। अतः इन किस्मों को उगाकर अच्छी आय कमा सकते हो।
देश का 80 प्रतिशत से अधिक जीरा गुजरात और राजस्थान में लगया जाता है. राजस्थान में देश के कुल जीरे के उत्पादन का लगभग 28 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है. अब उपज और उससे होने वाली कमाई की बात करें तो जीरे की औसत उपज 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
अब जीरे की खेती से कमाई समझते हैं. जीरे की खेती पर लगभग 30,000 से 35,000 रुपये प्रति हेक्टेयर खर्च लगया जाता है. जीरे का भाव 200 रुपये प्रति किलो लिया जाए तो 80 से 90 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर लाभ प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे में अगर 5 एकड़ की खेती में जीरा उगाया जाए तो 4 से साढ़े चार लाख रुपये तक की आमदनी की जा सकती है. इस समय जीरा 200 रुपये किलो के भाव से बाजारो में बेचा जा रहा है.