इस पेड़ की खेती करके आप भी कमा सकते हैं लाखों रूपए , जानिए संपूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 21-Sep-2023
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भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसके किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत बुरी है। कई बार किसानों की खड़ी फसल बेमौसम बारिश, बाढ़ या सूखा सहित कई कारणों से बर्बाद हो जाती है। किसानों को इसलिए आत्महत्या करनी पड़ती है। राष्ट्रीय अपराध नियंत्रण ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक, 2021 में कुल 5,563 कृषि श्रमिकों ने आत्महत्या की थी। 

ऐसे में हम आपको कुछ ही वर्षों में करोड़पति बनने वाली एक फसल बताने जा रहे हैं। महोगनी की खेती करके किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं । महोगनी का पेड़ बहुत महंगा होता है। इस पेड़ का हर एक टुकड़ा बाजार में बिक जाता है। इस पेड़ का कुछ भी बेकार नहीं जाता, क्योंकि उससे गिरे पत्ते प्राकृतिक खाद का काम करते हैं। 

इस पेड़ को उगाने के लिए बहुत अधिक पानी की भी आवश्यकता नहीं होती है। यही नहीं, खेत में पानी भरने से फसल को ज्यादा नुकसान नहीं होता है। एक एकड़ में 100 महोगनी के पौधे लगाने से किसान कुछ सालों में करोड़पति बन सकता है। 

महोगनी की लकड़ी कैसी होती है?

महोगनी की लकड़ी बहुत मजबूत होती है और कई दिनों तक खराब नहीं होती। यही कारण है कि फर्नीचर बनाने में महोगनी का उपयोग किया जाता है। महोगनी की लकड़ी बहुत महंगी भी होती है। यह लकड़ी लाल और भूरी होती है। पानी के अभाव में भी, यह पेड़ 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सह सकता है। 

महोगनी पेड़ की लकड़ी का उपयोग 

महोगनी पेड़ की लकड़ी, पत्तियां और खाल को भी बाजार में बेच सकते हैं। महोगनी की लकड़ी जल्दी नहीं सड़ती, इसलिए इसे अक्सर पानी के जहाजों में बनाया जाता है। इस पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल साजो-सामान, फर्नीचर, प्लाईवुड और मूर्तिकला के लिए किया जाता हैं। 

इस पेड़ के औषधीय गुणों की वजह से इसके छाल, फूल और बीजों को शक्तिवर्धक दवा बनाने में भी उपयोग किया जाता है। इस पेड़ की पत्तियों और बीजों से कीटनाशक और मच्छर भगाने वाले उत्पाद बनाए जाते हैं। इसके आलावा इस पेड़ का इस्तेमाल तेल इत्र, मंजन और साबुन बनाने में भी किया जाता है।

महोगनी की खेती कैसे की जाती है?

महोगनी के पेड़ की खेती ज्यादा हवा चलने वाले स्थानों पर नहीं की जाती क्योंकि उनकी जड़ें मिट्टी में बहुत अंदर नहीं जाती। खेतों में इस पौध की रोपाई जून से जुलाई तक की जाती है। यह फसल लगाने से पहले खेत में चार से छह फीट की दूरी पर चार फीट चौड़ा और एक फीट गहरा गढ्ढा खोद लें। पौधों की रोपाई करने के बाद खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी डालें, ताकि इसकी जड़ें आसानी से अपनी जगह बना सकें। 

गर्मियों के मौसम में पौधों को पांच से सात दिनों के बाद पानी देना चाहिए। सर्दियों में हर 15 से 20 दिनों में पानी देना चाहिए। हर पांच वर्षों में एक बार यह पेड़ बीज देता है। एक पौधे से पांच किलों तक बीज मिल सकते हैं।


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