आज कल बाजार में अरबी के पत्तों की डिमांड बहुत बढ़ रही है। क्योंकि अरबी के पत्तों में काफी पौष्टिक गुण मौजूद होते हैं, इसमें विटामिन ए,बी,सी, कैल्शियम, पोटेशियम और ऐंटि-ऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। यह सारे तत्व मानव शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं और कई बीमारियों से मुक्ति दिलाते हैं। इसलिए लोग आज कल इसे ज्यादा खरीद कर खाने लगे है।
बाजार में इसकी डिमांड अधिक होने के कारण इसका रेट भी अच्छा खासा मिलता है। अरबी के पत्तों की लोग सब्जी के साथ पकौड़े बड़ी चाव के साथ खाते हैं। यह पत्तें स्वादिष्ट के साथ-साथ पौष्टिक भी होते हैं। इन गुणों की होने की वजह से इसकी खेती करके आप भी अच्छा मुनाफा कमा सकते है। तो आइये जानते है इसकी खेती कैसे की जाती है।
अरबी की खेती 2 सीजन में की जाती है। खरीफ और रबी दोनों ही सीजन में इसकी खेती की जा सकती है। अरबी गर्मी और सर्दी दोनों मौसमों को सहन कर सकती है। खरीफ के मौसम में इसकी बुवाई जुलाई के लास्ट तक की जाती है जिससे की फसल दिसंबर तक तैयार हो जाती है। जबकि रबी के मौसम में किसान इसकी बुवाई अक्टूबर माह में करता है, जिसके बाद यह फसल अप्रैल से लेकर मई में तैयार होती है। इसके पौधे बरसात और गर्मी में काफी तेजी से विकसित होते हैं।
अरबी की खेती हर तरह की उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है | बालुई दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 5.5 से 7 के मध्य होना चाहिए। उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु को अरबी की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है।
अरबी की बुवाई के लिए खेत की तैयारी करने लिए खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई करनी चाहिए। खेत में पौधा बोने से 15 से 20 दिन पहले गोबर की खाद को खेत में मिला दें। जो किसान भाई अरबी के खेत में रासायनिक उवर्रक का इस्तेमाल करना चाहते है, उन्हें आखरी जुताई के समय 40 KG नाइट्रोजन, 50 KG पोटाश और 60 KG फास्फोरस की मात्रा को खेत में छिड़कना होता है | खेतों में 45 सेमी. की दूरी-दूरी पर मेड़ बनाएं। दोनों मेड़ की दूरी 30 सेमी होनी चाहिए।
अरबी के बीजो की रोपाई कंद के रूप में की जाती है, कंद रोपाई के लिए एक एकड़ के खेत में तक़रीबन 10 से 12 क्विंटल बीजों की आवश्यकता होती है। कंद की रोपाई से पहले उन्हें बाविस्टीन या रिडोमिल एम जेड- 72 की उचित मात्रा से उपचारित कर लिया जाता है |
इसके बाद कंद की रोपाई दो तरीके से की जाती है, पहला समतल भूमि में क्यारियों में और दूसरा खेत में मेड़ को तैयार करके,इन दोनों ही तरीको में कंदो की रोपाई 5 CM की गहराई में की जाती है।
बारिश के मौसम में पैदावार प्राप्त करने के लिए लगाए गए पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त यदि कंदो की रोपाई बारिश के मौसम में की गई है, तो इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है | यदि बारिश समय पर नहीं होती है, तो पौधों को 20 दिन के अंतराल में पानी दे देना चाहिए, अन्यथा बारिश होने पर जरूरत के हिसाब से ही सिंचाई करें।
अरबी की फसल 130 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है। अगर किसान अच्छे से करता है तो एक एकड़ से 100 - 120 क्विंटल पत्तों का उत्पादन कर सकते है।
बाजार में इसका भाव आराम से 8 रुपये लेकर 10 रुपये किलो होता है, लेकिन यह कभी कभी 20 से 22 रुपये किलो तक पहुंच जाता है। किसान इसकी खेती से एक एकड़ में 1.5 से 2 लाख रुपये की कमाई कर सकता है।