गेहूं की अधिक पैदावार लेने के लिए किसान भाइयों के लिए सलाह

By : Tractorbird News Published on : 22-Dec-2023
गेहूं

भारत में रबी के मौसम में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। गेहूं की फसल को सबसे अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। किसान भाइयों को गेहूं के उत्पादन में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिससे पैदावार में बहुत कमी का भी सामना करना पड़ता था।आज हम इस लेख में हम आपको बताने वाले है कि किसानों को गेहूं कि अधिक पैदावार लेने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

1. गेहूं की बुवाई जारी रखने की सलाह:

 किसानों को गेहूं की फसल की बुवाई समय पर करनी चाहिए। सही समय पर बुवाई की गयी फसल से अधिक पैदावार ली जा सकती है।

2. प्रमाणित बीजों का उपयोग:

किसानों को अच्छी किस्मों के प्रमाणित बीजों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। प्रमाणित बीज वे हैं जो विशिष्ट गुणगति मानकों को पूरा करने के लिए परीक्षित और सिद्ध हुए हैं। इस प्रकार के बीजों का उपयोग कृषि उत्पाद की बेहतर उत्पन्नता के लिए किया जा सकता है।

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3.संरक्षण कृषि प्रथाओं का अपनाना:

सुझाव दिया जाता है कि किसान संरक्षण कृषि प्रथाएँ अपनाएं, जैसे कि जीरो टिलेज और हैपी सीडर का उपयोग करें। जीरो टिलेज में न्यूनतम मिट्टी परिवर्तन होता है, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहती है और अपघात कम होता है। हैपी सीडर संभावत: एक उपकरण है जो पूर्व मिट्टी तैयारी के बिना सीधे बोने की अनुमति देता है।

4. फसल अवशेष प्रबंधन:

किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए। फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन मिट्टी स्वास्थ्य और पुनर्नवीनता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। 

5. बोने जाने वाले समय पर उर्वरक लागू करना:

कृषि विभाग के द्वारा किसानों को सलाह दी जाती है कि बोने जाने वाले समय पर आवश्यक नाइट्रोजन, पूर्ण फॉस्फोरस, पोटाश, और जिंक सल्फेट का आधा हिस्सा बोना चाहिए। यह प्रथा सुनिश्चित करती है कि विकसित हो रही पौधों के लिए आवश्यक पोषण उपलब्ध हो।

6. पहली सिंचाई के दौरान नाइट्रोजन का लागू होना:

शेष नाइट्रोजन का आधा हिस्सा पहली सिंचाई के समय छिड़काव के जरिए देनी चाहिए। यह उपाय पौधों को उनके विकास चरणों के दौरान नाइट्रोजन प्रदान करने में मदद करता है।

7. जिंक सल्फेट का लागू होना:

यदि बुआई के समय जिंक सल्फेट नहीं डाला जाता है, तो एक विकल्प यह है कि बुआई के 45 दिन बाद और 60 दिन बाद 0.5% जिंक सल्फेट + 2.5% यूरिया या 0.25% बुझे हुए चूने का मिaश्रण छिड़कें।


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