रबी की फसल में किसानों को उन्नत एवं अधिक उपजाऊ फसल मिले, इसके लिए कृषि वैज्ञानिक भीलवाड़ा में आरजिया स्थित बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र में नित-नए नवाचार कर रहे हैं।
कृषि वैज्ञानिक भीलवाड़ा में आरजिया स्थित बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्र में रबी फसल में किसानों को उन्नत और अधिक उपजाऊ फसल देने के लिए निरंतर नवाचार कर रहे हैं।
अनुसंधान केंद्र ने टमाटर और मिर्ची के अलावा मसाला फसलों की खेती में भी बदलाव किया। फव्वारा सिंचाई से भी पानी और पैसे की बचत होती है।
केंद्र चार हैक्टेयर में जौ और पांच हैक्टेयर में चने के बीज उत्पादन के नवाचार पर काम कर रहा है। बाद में कृषि कॉलेज को यह बीज दिए जाएंगे, ताकि वह किसानों को नवाचार से परिचित कर सके। इसी तरह कपास, मिर्ची और टमाटर में अच्छे बीज मिलने पर भी काम हो रहा है। केंद्र भी अजवाइन और सौंफ की मसाला फसलों की प्रायोगिक फसलें ले रहा है। इसमें फसल को फव्वारा सिंचाई प्रणाली से ग्रोथ किया जाता है। इससे 70 प्रतिशत पानी बचता है।
केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. ललित छाता ने बताया कि पिछले दो-तीन वर्षों के अध्ययन से पता चला कि भीलवाड़ा की जलवायु में सौंफ और अजवाइन की फसल सफलतापूर्वक ली जा सकती है। अगस्त के अंत में अजवाइन और सौंफ की बुवाई की जा सकती है। रबी की फसलों की तरह, फसल का ज्यादातर समय सर्दी की ऋतु में व्यतीत होता है।
केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे.के. बालियान ने बताया कि फव्वारा सिंचाई प्रणाली का उपयोग मिर्च और टमाटर में किया जा रहा है ताकि पानी की बचत हो और कर्मचारियों की लागत कम हो। रबी में, खासकर सब्जियों और मसाला फसलों में, फव्वारा सिंचाई प्रणाली का उपयोग करके ग्रोथ दिया जाता है। कपास की खेती भी एक नवाचार है।