पशुओं के लिए बहुत आवश्यक है संतुलित मिश्रित पशु आहार, इससे बढ़ता है दूध उत्पादन

By : Tractorbird News Published on : 07-Dec-2023
पशुओं

भारत में अधिकांश पशुपालक अपने पशुओं को पर्याप्त पोषण नहीं देते हैं, हालांकि जुगाली करने वाले पशुओं का आहार मुख्यत: विविध श्रेणी के चारे से बना होता है। पशुओं का शारीरिक विकास इस तरह रुकता है। साथ ही पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है, इसलिए पशुपालकों को उनके आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि वे स्वस्थ रहें और दूध उत्पादन को कम न करें। पशुओं के लिए संतुलित आहार बहुत महत्वपूर्ण है। आज इस लेख में हम आपको संतुलित मिश्रित पशु आहार के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे।

क्या है संतुलित पशु आहार ?

पशुपालक अक्सर अपने पशुओं को तिलहनी फसलों की खली (जैसे गुड़, दलिया, सूखा चारा, हरा चारा) देते हैं। इनमें मौजूद विटामिन, खनिज लवण, प्रोटीन, कार्बन और वसा कार्बोहाइड्रेट से पशुओं को अच्छा दूध देने, स्वस्थ रहने और फुर्ती से काम करने में मदद मिलती है। जिससे पशुओं की सेहत ठीक रहे और दूध का बेहतर उत्पादन मिल सके, पशुओं का पौष्टिक आहार संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों से बनाना चाहिए। 

संतुलित मिश्रित पशु आहार बनाने के लिए आवश्यक सामान 

  • दाना- मक्का, जौ, गेहूं, बाजरा, चावल
  • खली- सरसों की खली, मूंगफली की खली, बिनौला की खली, अलसी की खली
  • चोकर- गेहूं का चोकर, चना की चूरी, दालों की चूरी, राइस ब्रैन, खनिज लवण की मात्रा लगभग 02 किलो, नमक लगभग 01 किलो इन सभी को मिलाकर अपने पशु को खिला सकते हैं.

संतुलित मिश्रित पशु आहार बनाने का तरीका 

पशु चिकित्सकों ने बताया कि देसी गायों को 10 किलो मूंगफली, 10 किलो सरसों या सोयाबीन की खली, 5 किलो चोकर या दलिया, 1 से 2 किलो दालों के छिलके चाहिए। खनिज लवण के साथ 20–30 ग्राम विटामिन-A और D-3 भी शामिल करें। उसके बाद पशु भोजन बनाने के लिए सबसे पहले तिलहनी फसलों की खली को बारीक कूटकर चूरी बना लें। 

चोकर और दालों के छिलकों को खली के बारीक मिश्रण में मक्का, गेहूं या जौ के दलिया के साथ मिलाकर मिलाएं। खनिज लवण और नमक भी इसमें मिलाकर पशुओं का पाचन बेहतर करें। ठीक प्रकार से इस मिश्रण को मिलाएं और एक बैग में भरकर रखें।

संतुलित आहार देने से होने वाले फायदे 

यह संतुलित आहार पशुओं को बहुत फायदा करता है। इस खाद्य पदार्थ को देने से गाय-भैंस अधिक समय तक दूध दे सकते हैं। यह पशुओं को बहुत स्वादिष्ट लगता है और बहुत जल्दी पच जाता है। यह खली, बिनौला या चने से सस्ता दिखता है। पशुओं का स्वास्थ्य सुधरता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। साथ ही बीमारी से बचने की क्षमता देता है और पशु के दूध और घी में बढ़ोतरी करता है।






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