धान की सीधी बुवाई (Direct Seeding of Rice - DSR) एक ऐसी तकनीक है जिसमें धान के बीजों को सीधे खेत में बोया जाता है, बिना उन्हें नर्सरी में उगाने और फिर रोपने की प्रक्रिया के, ये धान बुवाई की आधुनिक तकनीक है।
यह पारंपरिक पद्धति से अलग है, जिसमें पहले धान के पौधे नर्सरी में उगाए जाते हैं और फिर उन्हें मुख्य खेत में रोपा जाता है।
धान की सीधी बुवाई से कई लाभ होते हैं। इस लेख में आप धान की सीधी बुवाई से होने वाले लाभ के बारे में जानेंगे।
1. पानी की बचत
2. श्रम की बचत
पारंपरिक पद्धति की तुलना में धान की सीधी बुवाई में कम श्रम की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें रोपाई की प्रक्रिया नहीं होती।
इससे श्रम लागत में कमी आती है और समय की भी बचत होती है। खेत में पानी भी नई खड़ा करना पड़ता जिससे की इसकी बुवाई में समय नई लगता।
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3. मिट्टी का संरक्षण
सीधी बुवाई के दौरान खेत में कम जुताई होती है, जिससे मिट्टी की संरचना बनी रहती है और मिट्टी का क्षरण कम होता है।
इससे मिट्टी की उर्वरता और स्थायित्व में सुधार होता है।
4. जलवायु परिवर्तन के अनुकूल
5. फसल चक्र में आसानी
6. कीट और रोग प्रबंधन
7. उपज में वृद्धि
कई अध्ययनों से पता चला है कि धान की सीधी बुवाई से उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है। यह तकनीक सही तरीके से अपनाने पर अच्छी उपज दे सकती है।
8. विविधता और उन्नति
धान की सीधी बुवाई में विभिन्न प्रकार की धान की किस्में उगाई जा सकती हैं, जो जलवायु और मिट्टी के विभिन्न प्रकारों के लिए उपयुक्त हो सकती हैं।
9. कम लागत
सीधी बुवाई में लागत कम होती है क्योंकि इसमें रोपाई, नर्सरी प्रबंधन, और अतिरिक्त श्रम की आवश्यकता नहीं होती।
इससे किसानों की उत्पादन लागत में कमी आती है।
10. जैव विविधता का संरक्षण
सीधी बुवाई में खरपतवार प्रबंधन आसान होता है, और जैव विविधता का संरक्षण भी संभव होता है क्योंकि इसमें रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का कम उपयोग होता है।
इन सभी लाभों के कारण धान की सीधी बुवाई एक प्रभावी और लाभकारी तकनीक मानी जाती है। यह न केवल किसानों की उत्पादन लागत को कम करती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद करती है।