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चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के वैज्ञानिकों ने ज्वार की नई बीमारी की खोज की

By : Tractorbird News Published on : 20-Jan-2023
चौधरी

आपको बतादे की एचएयू के वैज्ञानिकों ने ज्वार की नई बीमारी खोजी है। इस बीमारी को अमेरिकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी ने भी  मान्यता दी है। वैज्ञानिकों ने बताया वैश्विक स्तर पर पहली बार ज्वार फसल में इस तरह की बीमारी का पता चला है। एचएयू के कुलपति डॉ. बीआर कांबोज ने वैज्ञानिकों से बीमारी के आगे प्रसार पर कड़ी निगरानी रखने को कहा।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) में किया गया इस बीमारी का शोध

हरियाणा के हिसार स्थिति चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के वैज्ञानिकों ने ज्वार की नई बीमारी व इसके कारक जीवाणु क्लेबसिएला वैरीकोला की खोज की है। पौधों में नई बीमारी को मान्यता देने वाली अमेरिकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी (एपीएस), यूएसए द्वारा प्रकाशित प्रतिष्ठित जर्नल प्लांट बीमारी में वैज्ञानिकों की इस नई बीमारी की रिपोर्ट को प्रथम शोध रिपोर्ट के रूप में जर्नल में स्वीकार कर मान्यता दी है।

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एचएयू के कुलपति डॉ. बीआर कांबोज ने वैज्ञानिकों से बीमारी के आगे प्रसार पर कड़ी निगरानी रखने को कहा है। इस रोग नियंत्रण पर जल्द से जल्द काम शुरू करना चाहिए। इस अवसर पर ओएसडी डॉ. अतुल ढींगड़ा, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एसके पाहुजा व मीडिया एडवाइजर डॉ. संदीप आर्य भी मौजूद थे।

ज्वार की फसल में इस बीमारी के लक्षण वर्ष 2018 में दिखाई दिए थे

अनुसंधान निदेशक डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि पहली बार खरीफ-2018 में ज्वार में नई तरह की बीमारी दिखाई देने पर वैज्ञानिकों ने तत्परता से काम किया। खरीफ-2018 में ज्वार में इस बीमारी का पहला लक्षण देखा गया था। 4 साल की मेहनत के बाद वैज्ञानिकों ने इस बीमारी की खोज की है। वर्तमान समय में राज्य के मुख्यत: हिसार, रोहतक व महेंद्रगढ़ में यह बीमारी देखने को मिली है। पादप रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. एचएस सहारण ने कहा कि बीमारी की जल्द पहचान से योजनाबद्ध प्रजनन कार्यक्रम विकसित करने में मदद मिलेगी।

इन वैज्ञानिकों का रहा अहम योगदान

आपको बता दे की इस बीमारी के मुख्य शोधकर्ता और विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजिस्ट डॉ. विनोद कुमार मलिक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक संगठन अमेरिकन फाइटोपैथोलॉजिकल सोसायटी, यूएसए द्वारा दिसंबर, 2022 के दौरान ‘क्लेबसिएला लीफ स्ट्रीक डिजीज ऑफ सोरगम’ पर शोध रिपोर्ट को स्वीकार किया गया है।

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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक दुनिया में इस बीमारी के सबसे पहले शोधकर्ता माने गए हैं। एचएयू के वैज्ञानिकों डॉ. मनजीत घणघस, डॉ. पूजा सांगवान, डॉ. पम्मी कुमारी, डॉ. बजरंग लाल शर्मा, डॉ. पवित्रा कुमारी, डॉ. दलविंदर पाल सिंह, डॉ. सत्यवान आर्य और डॉ. नवजीत अहलावत ने शोध कार्य में योगदान दिया।

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