ब्राह्मी की खेती कैसे की जाती है ?
By : Tractorbird News Published on : 08-Jan-2025
ब्राह्मी का उपयोग मानसिक विकारों, मिर्गी, चिंता न्यूरोसिस और पागलपन के इलाज के लिए दवाओं के निर्माण में किया जाता है। यह स्मरणशक्ति बढ़ाने वाली एक अद्भुत जड़ी-बूटी है।
इसकी पत्तियों को मस्तिष्क की ग्रहणशीलता और स्मरण क्षमता को सुधारने के लिए उपयोगी माना जाता है।
इसका उपयोग आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा प्रणाली में भी होता है। इसे बालों के तेल के उत्पादन में भी उपयोग किया जाता है।
ब्राह्मी, जलनवेरी, जलनिंबा, सांबनी चेत्तु, थाइम-लीव्ड ग्रेटियोला, बकोपा, बेबीज़ टीयर, बकोपा मोनिएरी, हेस्पेस्टिस मोनिएरा, निर्ब्राह्मी, इंडियन पेनीवॉर्ट, और वाटर हाइसोप। अंग्रेजी में इसे "हर्ब ऑफ ग्रेस" कहा जाता है।
मिट्टी और जलवायु
- - यह पौधा विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में उगाया जा सकता है।
- - यह खराब जल निकासी वाली मिट्टी और जल-जमाव वाले क्षेत्रों में उपोष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में अत्यधिक अच्छा उगता है।
- - पौधे उच्च तापमान (33-40°C) और आर्द्रता (65-80%) पर तेजी से बढ़ते हैं।
- - इसे गर्मी-बरसात के मौसम की फसल के रूप में उगाना चाहिए।
भूमि की तैयारी
- - खेत को अच्छी तरह जुताई करके खरपतवार मुक्त बनाएं।
- - पौधों की कटिंग की सफल स्थापना के लिए रोपाई से एक दिन पहले सिंचाई करें।
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रोपाई
- - 4-5 सेमी लंबी कटिंग, जिनमें कुछ पत्तियां, गांठें और जड़ें हों, आदर्श रोपण सामग्री हैं।
- - इन्हें गीली मिट्टी में 40 सेमी x 40 सेमी की दूरी पर रोपित करें।
- - रोपाई के तुरंत बाद बाढ़ सिंचाई करें।
- - मार्च-जून के बीच रोपाई करें और पौधों को मानसून के गर्म और आर्द्र महीनों तक बढ़ने दें।
- - इसे बहुवर्षीय अवस्था में भी बनाए रखा जा सकता है, जिसमें जून और मानसून के बाद अक्टूबर में दो कटाई की जाती हैं।
सिंचाई
- - रोपाई के बाद तुरंत सिंचाई आवश्यक है।
- - उसके बाद आवश्यकतानुसार 7-8 दिन के अंतराल पर बाढ़ सिंचाई करें।
- - मानसून के दौरान सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती।
खरपतवार नियंत्रण
- - शुरू में हर 5-20 दिनों पर हाथ से खरपतवार निकालना आवश्यक है।
- - बाद में जब पौधे गाढ़ी चटाई जैसी बनाते हैं, तो खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता कम होती है।
कटाई और उप-प्रसंस्करण
- फूल आना: फसल रोपाई के 3 महीने बाद शुरू होते है।
- कटाई: रोपाई के 3-4 महीने बादअक्टूबर-नवंबर के बीच करें।
- कटाई के बाद पौधे की जैविक मात्रा और बैकोसाइड की उपज में कमी होती है।
- पौधों को रूटिंग विधि से काटें, जिसमें तने के ऊपरी हिस्से को 4-5 सेमी आधार से काटा जाता है।
- पौधों को छाया में या 80°C पर ओवन में सुखाया जा सकता है।
- पौधे को जड़ से 4-5 सेमी ऊपर काटा जाता है और शेष भाग को पुनर्जनन के लिए छोड़ दिया जाता है।
- - इसे बहुवर्षीय फसल के रूप में भी बनाए रखा जा सकता है।
- - फूल आने के समय सबसे अधिक जैविक भार देखा गया है।
उपज
- - ताजी जड़ी-बूटी: 300 क्विंटल/हेक्टेयर।
- - सूखी जड़ी-बूटी: 60 क्विंटल/हेक्टेयर।
- - बैकोसाइड-ए उपज: 85 किग्रा/हेक्टेयर।
- - पहली कटाई के बाद: 40 क्विंटल सूखी जड़ी-बूटी।
- - वार्षिक कुल उपज: 100 क्विंटल सूखी जड़ी-बूटी।
ब्राह्मी से बनाए जाने वाले उत्पाद
ब्राह्मी से कई प्रकार की आयुर्वेदिक दवाईया बनती है जैसे कि ब्राह्मीघृतम, सरस्वतारिष्टम, ब्राह्मीतैलम, मिश्रकस्नेहम, मेमोरी प्लस, मेगामाइंड प्लस।