Gerbera Cultivation - जरबेरा की खेती कैसे की जाती है? जानिए सम्पूर्ण जानकारी

By : Tractorbird News Published on : 19-Jun-2024
Gerbera

जरबेरा (Gerbera) एक खूबसूरत और आकर्षक फूल है जिसे "अफ्रीकन डेज़ी" के नाम से भी जाना जाता है। 

यह फूल अपने रंग-बिरंगे और लंबे समय तक ताजगी बनाए रखने के गुण के कारण बागवानी और व्यापारिक खेती में अत्यधिक लोकप्रिय है। 

जरबेरा की खेती न केवल सौंदर्य के लिए बल्कि आर्थिक लाभ के लिए भी की जाती है। सही तकनीक और उचित देखभाल के साथ, जरबेरा की खेती से उच्च गुणवत्ता के फूल प्राप्त किए जा सकते हैं। 

इस लेख में आप इसकी खेती के बारे में विसतर से जानेंगे। 

जलवायु और स्थान

  • जरबेरा की खेती के लिए समशीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसे 18-24°C तापमान की आवश्यकता होती है। 
  • उच्च तापमान और ठंड दोनों ही जरबेरा के लिए हानिकारक होते हैं। 
  • इसे प्रत्यक्ष सूर्यप्रकाश की आवश्यकता होती है, लेकिन अत्यधिक गर्मी से बचाने के लिए हल्की छाया का भी प्रबंध किया जा सकता है। 
  • जरबेरा की खेती हवादार स्थानों पर की जानी चाहिए ताकि पौधों को उचित वायु संचलन मिल सके।

मिट्टी और उसकी तैयारी

  • जरबेरा के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। 
  • मिट्टी का PH मान 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए। 
  • इसके लिए भूमि को अच्छी तरह से जोता जाता है और उसमें जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट मिलाई जाती है। 
  • मिट्टी की अच्छी नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई के साथ-साथ जल निकासी का उचित प्रबंध भी आवश्यक है। 
  • खेत की अंतिम जुताई के बाद पाटा लगाकर भूमि को समतल कर लेना चाहिए।

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पौधों का चयन और रोपण

  • जरबेरा की खेती के लिए उच्च गुणवत्ता वाले किस्मों का चयन महत्वपूर्ण होता है। 
  • पौधों की नर्सरी से प्राप्त स्वस्थ पौधों को खेत में रोपण के लिए चुना जाता है। 
  • पौधों को 30x30 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपा जाता है। 
  • रोपण करते समय ध्यान रखें कि पौधे की जड़ें मिट्टी में अच्छी तरह से फैल सकें और जड़ का ऊपरी भाग सतह पर रहे।

फसल में सिंचाई प्रबंधन 

  • जरबेरा को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है। 
  • पौधों को उचित नमी बनाए रखने के लिए ड्रिप इरिगेशन प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है। 
  • यह न केवल जल की बचत करता है बल्कि पौधों को आवश्यक मात्रा में नमी भी प्रदान करता है। 
  • सिंचाई के दौरान जलजमाव से बचना चाहिए क्योंकि इससे पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं।

खाद और पोषण तत्वों का प्रबंधन 

  • जरबेरा की खेती में पोषण का संतुलित प्रबंधन महत्वपूर्ण है। 
  • नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की सही मात्रा में आवश्यकता होती है। 
  • जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग पौधों के विकास और फूलों की गुणवत्ता को बढ़ाता है। 
  • पौधों को समय-समय पर माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी देना चाहिए ताकि उनके विकास में कोई कमी न रहे।

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रोग और कीट नियंत्रण

  • जरबेरा के पौधों पर पाउडरी मिल्ड्यू, फ्यूसैरियम विल्ट, और लीफ स्पॉट जैसे रोगों का प्रकोप हो सकता है। 
  • इन रोगों के नियंत्रण के लिए उचित फफूंदनाशक का प्रयोग करें। 
  • कीटों में एफिड्स, थ्रिप्स और माइट्स का प्रकोप देखा जा सकता है। 
  • इन कीटों के नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करें। 
  • साथ ही, जैविक कीटनाशकों और प्राकृतिक उपायों का भी उपयोग किया जा सकता है ताकि पर्यावरण को हानि न पहुंचे।

कटाई और उपज

  • जरबेरा के फूल जब पूरी तरह से खिल जाएं तो उन्हें 2-3 इंच डंडी के साथ काटा जाता है। 
  • कटाई सुबह के समय की जानी चाहिए ताकि फूल ताजगी बनाए रखें। 
  • कटाई के बाद फूलों को साफ पानी में रखा जाता है ताकि वे अधिक समय तक ताजगी बनाए रखें। 
  • एक एकड़ क्षेत्र से 1-1.5 लाख फूल प्रति वर्ष प्राप्त किए जा सकते हैं, जो किसानों के लिए अच्छा लाभ प्रदान करते हैं।

जरबेरा के फूलों की बाजार में अच्छी मांग होती है। स्थानीय फूल बाजार, मंडी और ऑनलाइन प्लेटफार्म पर इन्हें बेचा जा सकता है। 

फूलों की गुणवत्ता और ताजगी बनाए रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का उपयोग किया जा सकता है। 

अच्छी पैकेजिंग और विपणन रणनीतियों से जरबेरा के फूलों की बिक्री बढ़ाई जा सकती है। जरबेरा की खेती सही देखभाल और तकनीकों के साथ एक लाभकारी व्यवसाय हो सकती है। 

यह न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है बल्कि बागवानी के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। 

जलवायु, मिट्टी, सिंचाई, पोषण और रोग नियंत्रण के उचित प्रबंधन से जरबेरा की खेती से उच्च गुणवत्ता के फूल प्राप्त किए जा सकते हैं।

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