Sapota Cultivation - चीकू की खेती कैसे की जाती है? जानिए चीकू की सफल खेती के बारे में

By : Tractorbird News Published on : 21-Jun-2024
Sapota

चीकू (सपोटा) की खेती उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में की जाती है। 

चीकू में बहुत सारे फाइबर, मैग्निशियम, कैलशियम आईरन, विटामिन बी सी, मैंगनीज, पोटेशियम और प्रोटीन हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और आगे भी पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं। 

किसान भाई चीकू की खेती करते हैं, जो स्वादिष्ट फल देते हैं। चीकू की उत्पादित मध्य अमेरिका और मेक्सिको में मानी हैं, लेकिन आज भारत में भी चीकू की खेती व्यापक रूप से की जाती है। 

चीकू पौधा एक बार लगाने पर कई वर्षों तक फल देता रहता है। चीकू की खेती भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है। 

इस फल में एक या दो काले बीज होते हैं और उसकी त्वचा मोटी व भूरे रंग की होती है। 

आज के इस लेख में आप चीकू की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। 

चीकू की खेती के लिए जलवायु और तापमान 

  • चीकू उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाला पौधा है, इसलिए सुखदायक और आधार जलवायु उचित है। 
  • चीकू के पौधे आसानी से समुद्र तल से 1000 मीटर या इससे भी अधिक ऊंचाई पर विकास कर सकते हैं। 
  • गर्मी के मौसम में चीकू अच्छे से बढ़ते हैं, लेकिन अधिक समय तक ठंडी जगहों पर चीकू की खेती नहीं कर सकते हैं।
  • चीकू के पौधों को हर वर्ष 150 से 200 सेंटीमीटर बारिश की आवश्यकता होती है। 
  • शुरुआत में चीकू के पौधों को सामान्य तापमान चाहिए पूर्ण रूप से तैयार चीकू पौधे को 10 डिग्री से 40 डिग्री तक का तापमान चाहिए। 
  • चीकू खेती में 70% आद्रता वाले मौसम को ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। 

ये भी पढ़ें: Mushroom Farming : इस विधि से मशरूम की खेती करके आप भी कमा सकते है लाखों का मुनाफा

चीकू की उन्नत किस्में 

चीकू की खेती में उन्नत किस्मों का चयन महत्वपूर्ण है ताकि उच्च गुणवत्ता और अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके। यहाँ चीकू की कुछ उन्नत और प्रमुख किस्में दी गई हैं:

1. कल्याणी (PKM-1)

  • विशेषताएँ : यह एक बौनी किस्म है और जल्दी फल देती है।
  • उपज : प्रति पौधा 100-150 किलोग्राम।
  • फलों का आकार : मध्यम आकार के और मीठे फल होते हैं।

2. क्रिकेट बॉल

  • विशेषताएँ : बड़े और गोल आकार के फल।
  • उपज : प्रति पौधा 200-250 किलोग्राम।
  • फलों का आकार : बड़े और मांसल फल, गहरे भूरे रंग के होते हैं।

3. कलिपट्टी

  • विशेषताएँ: यह किस्म उच्च गुणवत्ता के फल देती है।
  • उपज : प्रति पौधा 150-200 किलोग्राम।
  • फलों का आकार : मध्यम से बड़े आकार के फल, गहरे भूरे रंग के होते हैं।

 4. पिलीपट्टी

  • विशेषताएँ : इस किस्म के फल छोटे और मीठे होते हैं।
  • उपज : प्रति पौधा 100-150 किलोग्राम।
  • फलों का आकार : छोटे आकार के फल, हल्के भूरे रंग के होते हैं।

5. धौलपुर बेन

  • विशेषताएँ : यह किस्म धौलपुर जिले में विकसित की गई है और उच्च उपज देती है।
  • उपज : प्रति पौधा 200-250 किलोग्राम।
  • फलों का आकार : मध्यम से बड़े आकार के फल, मीठे और रसीले होते हैं।

6. गोवा

  • विशेषताएँ : यह किस्म गोवा राज्य में प्रचलित है और उच्च गुणवत्ता के फल देती है।
  • उपज : प्रति पौधा 150-200 किलोग्राम।
  • फलों का आकार : मध्यम से बड़े आकार के फल, मीठे और रसीले होते हैं।

7. भगवती

  • विशेषताएँ : यह किस्म अच्छे आकार और गुणवत्ता के फल देती है।
  • उपज : प्रति पौधा 200-250 किलोग्राम।
  • फलों का आकार : मध्यम से बड़े आकार के फल, मीठे और गहरे भूरे रंग के होते हैं।

8. गोला

  • विशेषताएँ : इस किस्म के फल गोल और बड़े होते हैं।
  • उपज : प्रति पौधा 150-200 किलोग्राम।
  • फलों का आकार : बड़े आकार के फल, मीठे और रसीले होते हैं।

इन उन्नत किस्मों का चयन कर किसान उच्च उत्पादन और अच्छी गुणवत्ता के फल प्राप्त कर सकते हैं। 

विभिन्न किस्मों की भिन्न-भिन्न विशेषताएँ और उत्पादन क्षमताएँ होती हैं, इसलिए अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी की स्थिति के अनुसार सही किस्म का चयन करना महत्वपूर्ण है।

ये भी पढ़ें: केले की खेती से कमा सकते है अच्छा मुनाफा सरकर दे रही अनुदान

चीकू के पौधों का रोपण 

चीकू के पौधों का रोपण मानसून की शुरुआत में या बाद में करना सबसे अच्छा होता है। पौधों को 1 से 1.5 मीटर की गहराई पर और पंक्तियों के बीच 8-10 मीटर की दूरी पर रोपें।

चीकू की फसल में खाद प्रबंधन

  • चीकू की फसल को भी सामान फसलों की तरह खुराक और उर्वरक चाहिए। चीकू के पौधों की रोपाई करते समय 100 ग्राम NPK खाद और 15 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर मिट्टी भरनी चाहिए। 
  • चीकू के पौधे को दो वर्ष तक खाद्य मंत्र देना चाहिए, साथ ही उसके बौद्धिक विकास के साथ खाद की मात्रा में भी बढ़ोतरी करना चाहिए। 
  • 15 वर्ष के पूर्ण विकसित चीकू के पौधों को वर्ष में दो बार लगभग 25 किलो जैविक खाद, 1 किलो यूरिया, 3 किलो सुपरफास्ट एक्सप्रेस और 2 किलो पोटाश देना चाहिए।

फसल में सिंचाई प्रबंधन 

  • चीकू फसल को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं है। चीकू के पौधों को पहले से ही सात से आठ बार पानी की आवश्यकता होती है। 
  • चीकू के पेड़ को पानी देने के लिए खेलों को 2 फीट की दूरी पर पौधों के तने के चारों ओर बनाना चाहिए. खेल गहरे और चौड़े होने चाहिए।
  • 10 से 15 दिन में सर्दी के मौसम में चीकू के पेड़ को पानी चाहिए वही गर्मी के मौसम में 5 से 7 दिन बाद इन्हें पानी की जरूरत होती है। 
  • पौधों को बाली दोमट मिट्टी में लगाने पर अधिक पानी की जरूरत नहीं है। 
  • एक सप्ताह में दो बार पानी की आवश्यकता होती है, जबकि बारिश के मौसम में सिंचाई नहीं होती है।

चीकू की फसल से होने वाले फायदे 

  • चीकू के एक पेड़ से लगभग 130 किलो प्रति वर्ष उपज मिलती है एक एकड़ में लगभग 300 से अधिक चीकू के पेड़ लगाए जा सकते हैं, जिसमें लगभग 15 से 20 तान का उत्पादन मिल सकता है। 
  • चीकू का किलो मूल्य 30 से 40 रुपये है। 
  • इस तरह, किसान भाई हर एकड़ में चीकू की एक वर्ष की फसल से आसानी से 6 से 7 लख रुपये कमा सकते हैं।

Join TractorBird Whatsapp Group

Categories

Similar Posts

Ad